ग्रामीण भारत में महिला उद्यमियों के लिए डिजिटल और सोशल कॉमर्स की संभावनाएँ : रिपोर्ट

• Nasscom Foundation और LEAD at Krea University की रिपोर्ट 

• यह अध्ययन 24 जिलों की 792 महिला उद्यमियों के आँकड़ों का विश्लेषण करता है, जिनकी औसत आयु 34 वर्ष है

• रिपोर्ट वित्तीय समावेशन, डिजिटल अपनाने और ग्रामीण भारत की महिला उद्यमियों के क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है

• टेक्नोलॉजी तक पहुँच रखने वाली 80% ग्रामीण महिला उद्यमियों ने डिजिटल साक्षरता की कमी के बावजूद सोशल कॉमर्स का लाभ उठाया है

शब्दवाणी समाचार, शुक्रवार 22 नवम्बर 2024, सम्पादकीय व्हाट्सप्प 8803818844, नई दिल्ली। Nasscom Foundation और LEAD at Krea University ने एक व्यापक रिपोर्ट जारी की है, जिसका शीर्षक डिजिटल डिविडेंड्स ग्रामीण भारत में महिला उद्यमियों द्वारा सोशल कॉमर्स के उपयोग को समझना" है। यह अध्ययन ग्रामीण महिला उद्यमियों (आरडब्ल्यूई) द्वारा डिजिटल टूल्स और सोशल कॉमर्स को अपनाने में आने वाली चुनौतियों और अवसरों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है, साथ ही उनके उद्यमों को समर्थन और विस्तार देने के लिए व्यावहारिक सिफारिशें प्रदान करता है। यह रिपोर्ट उन व्यवसायों पर टेक्नोलॉजी के परिवर्तनकारी प्रभाव को भी दर्शाती है, जिनका नेतृत्व ग्रामीण महिलाओं द्वारा किया जाता है, विशेष रूप से कृषि और संबद्ध सेवाओं, हथकरघा और हस्तशिल्प, विनिर्माण, प्रसंस्करण और खुदरा क्षेत्रों में। इस अध्ययन का उद्देश्य उन कारकों की पड़ताल करना है, जो महिला उद्यमियों को प्रभावित करते हैं। विशेष रूप से यह इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि टेक्नोलॉजी, खासकर सोशल कॉमर्स, उनके व्यवसाय से संबंधित गतिविधियों पर कैसे प्रभाव डाल सकता है। यह रिपोर्ट भारत भर के 24 जिलों की 792 महिला उद्यमियों (15-60 वर्ष) के सर्वेक्षण पर आधारित है। इसमें 18 आकांक्षी जिले भी शामिल हैं, जो विविध जनसांख्यिकीय प्रोफाइल का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रतिभागियों पर किया गया सर्वे उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि, डिजिटल तत्परता, वित्तीय पहुँच और सोशल कॉमर्स के उपयोग को लेकर जानकारी हासिल करने पर आधारित था। 

प्राप्त निष्कर्षों के बारे में बोलते हुए, Rostow Ravanan, Chairperson, Nasscom Foundation ने कहा ग्रामीण महिला उद्यमियों के सशक्त बनने से न सिर्फ रोजगार के अवसर बढ़ते हैं, बल्कि स्थायी और आत्मनिर्भर समुदायों को भी बढ़ावा मिलता है। छह महीने के इस पूरे अध्ययन के माध्यम से, यह बात स्पष्ट हुई है कि इन उद्यमों को उन्नत करने में डिजिटल टूल्स और सोशल कॉमर्स कैसे योगदान दे सकते हैं। मजबूत संकल्प के बावजूद, कई महिअलों को डिजिटल के पूरी तरह से एकीकरण में कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन टेक्नोलॉजी और सोशल प्लेटफॉर्म्स को अपनाने को लेकर वे काफी तत्पर हैं। यह रिपोर्ट Krea University और LEAD के बीच साझेदारी में तैयार की गई है, जो स्टेकहोल्डर्स को डिजिटल विभाजन के अंतर को खत्म करने में मदद करेगी। इससे न सिर्फ स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बल मिलेगा, बल्कि भारत की ग्रामीण महिला उद्यमियों के लिए सामाजिक-आर्थिक समानता को भी बढ़ावा मिलेगा।

Sharon Buteau, Executive Director, LEAD at Krea University ने कहा आज के समय में महिला, जो ग्रामीण भारत में अपने घर से हस्तशिल्प व्यवसाय का संचालन करती है, वह व्यापक और विविध ग्राहकों के सामने अपने उत्पादों को पेश कर सकती है। इससे न सिर्फ भौगोलिक बाधाएँ दूर होंगी, बल्कि बिचौलियों की भूमिका में भी कमी आएगी। ये सोशल प्लेटफॉर्म्स महिलाओं को समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने और अपने स्थानीय समुदायों से परे ग्राहकों तक पहुँचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और साथ ही उनकी नेटवर्किंग की क्षमताओं का लाभ भी उठा सकते हैं। हालाँकि, हमने पाया है कि टेक्नोलॉजी की पहुँच हमेशा निष्पक्ष नहीं होती। इन चुनौतियों को समझना महत्वपूर्ण है, ताकि महिलाओं को डिजिटल और सोशल कॉमर्स में सशक्त बनाया जा सके और उनका समर्थन करने के लिए उचित स्ट्रेटजीस पर काम किया जा सके। हमें उम्मीद है कि रिपोर्ट में जो अंतर्दृष्टियाँ प्रस्तुत की गई हैं, वे टेक्नोलॉजी और सोशल प्लेटफॉर्म्स की भूमिका पर बारीकी से जानकारीपूर्ण बातचीत को बढ़ावा देंगी और प्रभावी नीतियों और समाधानों को पेश करने में योगदान देंगी।

रिपोर्ट से प्राप्त हुए प्रमुख निष्कर्ष :

सोशल कॉमर्स की बढ़ती संभावना: रिपोर्ट में 44% महिलाओं ने कहा कि सोशल कॉमर्स ने उनके व्यवसाय पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। सोशल मीडिया का आसान उपयोग और जीएसटी से जुड़ी जटिलताओं से बचने जैसे कारण इसकी मुख्य वजह थे। इसके अलावा, 71% महिलाओं ने कहा कि सोशल मीडिया उनके व्यवसाय के विकास में मददगार रहा है, और 80% से अधिक महिलाएँ इसका उपयोग व्यवसाय के उद्देश्यों के लिए करती हैं। इसके बावजूद, केवल 17.6% महिलाएँ डिजिटल टूल्स का उपयोग ग्राहकों और ऑर्डर्स को मैनेज करने के लिए करती हैं। यह साबित करता है कि व्यापर के कुशल संचालन और इसमें सुधार के लिए डिजिटल को अपनाना एक बड़ा अवसर है। रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि 83.2% महिला उद्यमी सोशल मीडिया का उपयोग मुख्य रूप से ग्राहक संबंध बनाए रखने के लिए करती हैं। हालाँकि, 82.3% महिलाएँ आज भी पारंपरिक ऑफलाइन बिक्री पर निर्भर हैं। इनमें से 23% महिलाओं को डिजिटल की कम जानकारी है और 23.6% महिलाओं तक नेटवर्क की उपलब्धता अनियमित है। इन खामियों को हल करके सोशल कॉमर्स को और अधिक प्रभावी तरीके से अपनाया जा सकता है और बाजार तक पहुँच बढ़ाई जा सकती है।

● क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व और व्यवसाय प्रोफाइल: मुख्य रूप से 35% ग्रामीण महिला उद्यमी कृषि, 34% हस्तशिल्प और 31% रिटेल क्षेत्रों में काम करती हैं। इनमें से अधिकांश यानि 91.8% व्यवसाय एकल स्वामित्व वाले हैं, जो महिलाओं की स्वतंत्र भूमिका को दर्शाते हैं। हालाँकि, 57.7% महिलाओं ने औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया है, जिससे उनमें कौशल बढ़ाने पर काम करने की अनिवार्यता सामने आई है।

● डिजिटल साक्षरता और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: एक महत्वपूर्ण आँकड़ा यह भी सामने आया है कि ग्रामीण महिला उद्यमियों के बीच स्मार्टफोन्स काफी सुलभ हो गए हैं। 79.5% महिलाओं के पास अपनी खुद के फोन हैं और 20.5% महिलाएँ अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से फोन एक्सेस करती हैं। इसके अलावा, लगभग आधी यानि 52% उत्तरदाता, जो स्मार्टफोन का उपयोग व्यवसाय के उद्देश्य से करती हैं, वे कम से कम एक वर्ष से इसका उपयोग कर रहे हैं। हालाँकि, सीमित इंटरनेट एक्सेस, गोपनीयता की चिंताएँ और कम डिजिटल साक्षरता पूरी तरह से डिजिटल कॉमर्स में भागीदारी को बाधित करती हैं। महिला उद्यमियों की व्यवसाय प्रथाओं का विश्लेषण यह भी दर्शाता है कि वे ऑनलाइन माध्यमों की तुलना में ऑफलाइन माध्यमों को अधिक पसंद करती हैं। विशेष रूप से, 82.3% महिलाएँ ऑफलाइन बिक्री और मार्केटिंग प्रथाओं को प्राथमिकता देती हैं, जबकि सिर्फ 17.7% महिलाएँ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को अपनाना पसंद करती हैं।

● डिजिटल अपनाने को बढ़ावा देने में भागीदारों की भूमिका: सिर्फ 34.5% महिला उद्यमियों को ही सरकारी योजनाओं की जानकारी है। ये योजनाएँ डिजिटल के एकीकरण में महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करती हैं। यह एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है, जिसमें शेष 65.5% महिलाओं को मूल्यवान संसाधनों से जोड़कर उनके विकास और सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया जा सकता है।

स्टेकहोल्डर की भागीदारी का विश्लेषण यह दर्शाता है कि 'प्रशिक्षण' (24.5%) और 'जागरूकता' (22.6%) प्रमुख भूमिका निभाते हैं, जो महिलाओं उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा और जानकारी को महत्वपूर्ण आधार के रूप में उजागर करते हैं। इसके अलावा, 'अपस्किलिंग' (12.2%) और 'ऑनबोर्डिंग' (10.5%) भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो निरंतर सीखने और व्यवसाय नेटवर्क में प्रभावी एकीकरण की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। रिपोर्ट में एक सहयोगात्मक और बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है। डिजिटल अपस्किलिंग कार्यक्रम, सुलभ प्रशिक्षण केंद्र, वित्तीय संसाधनों तक बेहतर पहुँच और एक समग्र दृष्टिकोण से महिला उद्यमिता को बढ़ावा दिया जा सकता है। इससे सोशल कॉमर्स को अपनाने में तेजी आएगी और ग्रामीण महिलाओं को उनके व्यापार का विस्तार करने और व्यापक बाजारों से जुड़ने में मदद मिलेगी। हालाँकि, रिपोर्ट यह भी स्पष्ट करती है कि व्यवसाय पंजीकरण को सरल बनाना, वित्तीय संसाधनों तक बेहतर पहुँच और ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से व्यावसायिक प्रशिक्षण बेहद जरूरी कदम हैं। समर्थनकारी नेटवर्क्स स्थापित करके, समावेशी नीतियों को अपनाकर और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देकर, स्टेकहोल्डर्स वास्तविक बदलाव ला सकते हैं, जिससे ग्रामीण महिलाओं द्वारा संचालित उद्यमों के लिए आर्थिक सशक्तिकरण और स्थिर विकास को बढ़ावा मिलेगा।

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