नर्दन यूनि ने छात्रों द्वारा संचालित सैटेलाईट परियोजना को किया लॉन्च
शब्दवाणी समाचार, सोमवार 6 अक्टूबर 2024, संपादकीय व्हाट्सएप 8803818844, नई दिल्ली। विश्व अंतरिक्ष सप्ताह के उपलक्ष्य में नर्दन यूनि ने छात्रों द्वारा संचालित सैटेलाईट परियोजना के लॉन्च के लिए स्पेसकिड्ज़ इंडिया के साथ एमओयू साईन किया है। यह श्रीलंका के उत्तरी क्षेत्र में अंतरिक्ष शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कदम है। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर डॉ प्रफुल्ल कुमार जैन, डायरेक्टर-इन स्पेस अहमदाबाद, इंडी पथमंथनम, चेयरमैन- एसएलआईआईटी नर्दन यूनि, डॉ श्रीमथि केसन, संस्थापक एवं सीईओ- स्पेसकिड्ज़ इंडिया, मिस अल्मा ओकपालेफे, एक्ज़क्टिव डायरेक्टर- वर्ल्ड स्पेस वीक एसोसिएशन एवं डॉ सरान्या जयकुमार एजुकेशनल साइकोलोजिस्ट की मौजूदगी में किए गए। इसके साथ क्षेत्र ने पहली बार अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी में प्रवेश किया है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना नर्दन यूनि एवं जाफना के सरकारी स्कूलों के छात्रों तथा भारतीय छात्रों को एक मंच पर लाएगी, जो एक साथ मिलकर सैटेलाईट का डिज़ाइन तैयार कर, इसे विकसित कर लॉन्च करेंगे। सैटेलाईट में महत्वपूर्ण उपकरण होंगे, जिनका उद्देश्य अंतरिक्ष के वातावरण का अध्ययन करना तथा आधुनिक संचार तकनीकों का प्रदर्शन करना होगा।
उम्मीद है कि नर्दन युनि के नेतृत्व में संचालित यह परियोजना वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण डेटा जुटाएगी, साथ ही दोनों देशों के इनोवेटर छात्रों की तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन करेगी। यह परियोजना छात्रों को सैटेलाईट टेक्नोलॉजी का अनुभव प्रदान करने, अनुसंधान में भाग लेने और विश्वस्तरीय चुनौतियों के लिए नए समाधान प्रस्तुत करने की क्षमता प्रदान करेगा। यह पहल छात्रों को सैटेलाईट विकास, डेटा विश्लेषण एवं कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी में आवश्यक कौशल प्रदान कर उन्हें स्टेम में भावी करियर के लिए तैयार करेगी। इस परियेजना में भाग लेने से दोनों देशों के छात्र अंतरिक्ष अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेंगे और कल्याणकारी तकनीकी इनोवेशन्स को बढ़ावा दे सकेंगे। इस अवसर पर इंडि पथमंथनम, चेयरमैन एसएलआईआईटी नर्दन युनि ने कहा, यह पहल श्रीलंका और भारत दोनों के लिए बड़ा कदम है, जो वैज्ञानिक सहयोग एवं इनोवेशन को बढ़ावा देगा। विशेष यह है कि यह परियेजना विभिन्न पृष्ठभूमि, अलग संस्कृतियों एंव शैक्षणिक प्रणाली से जुड़े छात्रों के बीच सीमापार सहयोग को बढ़ावा देती है। वे विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में आधुनिक कौशल विकसित कर सकेंगे। इस परियोजना के माध्यम से हम न केवल सैटेलाईट बना रहे हैं, अपितु ऐसे भविष्य का निर्माण भी कर रहे हैं जहां इनोवेशन की कोई सीमा नहीं होगी।
डॉ श्रीमथि केसन, संस्थापक एवं सीईओ, स्पेसकिड्ज़ इंडिया ने कहा, यह परियोजना भारत और श्रीलंका के लिए साझा दृष्टिकोण को दर्शाती है- जिसमें शिक्षा, तकनीक एवं अंतरिक्ष अन्वेषण का उपयोग लोगों को एकजुट करने और सीमाओं को पाटने के लिए किया जाएगा। इस परियोजना के माध्यम से हम छात्रों को भोगौलिक सीमाओं से परे अंतरिक्ष विज्ञान के इनोवेटर्स और लीडर्स बनने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं।
परियोजना का संचालन दो चरणों में किया जाएगा। पहले चरण में छात्रों को अंतरिक्ष विज्ञान और टेक्नोलॉजी में प्रशिक्षित किया जाएगा। इसमें 50 स्कूली छात्र श्रीलंका और 10 स्कूली छात्र भारत से होंगे तथा 50 कॉलेज छात्र प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। इस चरण में प्रतिभागियों को सैटेलाईट के विकास एवं स्पेस मिशन की मुलभूत ज्ञान, सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ व्यवहारिक प्रशिक्षण पाने का अवसर मिलेगा।
दूसरे चरण में श्रीलंका से 30 कॉलेज छात्र सैटेलाईट के निर्माण तैयारी और लॉन्च के लिए सक्रियता से काम करेंगे। इसके अलावा श्रीलंका से 15 कॉलेज छात्रों और 50 स्कूली छात्रों को सैटेलाईट लॉन्च देखने के लिए भारत आने का अवसर मिलेगा। इस तरह यह छात्रों के लिए लर्निंग का बेहतरीन अवसर होगा जो आने वाली पीढ़ियों को अंतरिक्ष विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा।
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