रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किए जाने की मांग पर नरेंद्र मोदी ने दी प्रतिक्रिया

अर्चना उपाध्याय की बड़ी उपलब्धि 

शब्दवाणी समाचार, मंगलवार 31 अक्टूबर 2023, संपादकीय व्हाट्सएप 08803818844 नई दिल्ली।जानी मानी समाजसेविका एवम राष्ट्रीय प्रभारी श्री रामचरितमानस हस्ताक्षर अभियान अर्चना उपाध्याय ने देश भर में शंखनाद सा भर दिया है। इसी  कड़ी में विश्व विख्यात संत रामभद्राचार्य से आशीर्वाद प्राप्त कर अपने विचार को व्यक्त किया जिस पर रामभद्राचार्य जी ने अर्चना उपाध्याय के पुनीत मिशन की चर्चा मोदी जी से की जिस पर मोदी जी ने संजीदगी व्यक्त करते हुए कहा की बहुत जल्द इस पर वह कार्यवाही करेंगे।  नितिन उपाध्याय ने सनातन संस्कृति को प्रदर्शित करने वाले ग्रंथ रामचरितमानस को योगी की नगरी उत्तरप्रदेश सहित विभिन्न क्षेत्रों में श्री कामतानाथ पीठ के पीठाधीश्वर  पूज्य संत श्री मदन गोपाल दास के संरक्षण मैं चित्रकूट धाम से शुरू कर गोस्वामी तुलसीदास की जन्म भूमि राजापुर एवं लखनऊ में संगोष्ठी कर चुके हैं । घर घर जाकर लोगो को जागरूक कर राम चरित मानस की उपयोगिता के विषय में लोगो से हस्ताक्षर करवा रहे है।  जिसके समर्थन में कई हिंदूवादी संगठन एवम ब्राम्हण संगठनों ने उन्हे समर्थन दिया।  नितिन उपाध्याय कहते है। आजकल ज्यादातर लोग रामचरितमानस को भूलते जा रहे है। उन्होंने कहा की अब भी अगर हमारी पीढ़ी अपने पुरातात्विक चीजों पर ध्यान नही  देगी तो हमारी संस्कृति की हानि होगी। सनातन ग्रंथ सनातनीयों की आस्था का प्रमुख केंद्र है उसपर कुछ वामपंथी लोग विवादित टिप्पणी ही नही अपितु जगह जगह रामचरितमानस के जलाने की खबरे सामने आती रहती है। जो की अत्यंत शर्मिंदगी का विषय है। जिसे सुनकर मेरी आत्मा बहुत आहत होती है। इसलिए आगामी भविष्य में हमारी आने वाली पीढ़ी के संजोय रखने के लिए यह अत्यंत आवश्यक है।उन्होंने कहा की हमारे शास्त्रों-पुराणों में ऐसा कुछ नहीं लिखा है, जिसे गलत कहा जा सके। इनके साथ न तो छेड़छाड़ होनी चाहिए, न ही कोई विवाद होना चाहिए। रामचरित मानस ये हमें बताती है कि हमारा जीवन कैसा होना चाहिए। हमारे आदर्श कैसे होने चाहिए, हमारा समाज कैसा होना चाहिए, बल्कि वह यहां तक बताती है कि दुश्मनी कैसे की जानी चाहिए। दुश्मनी की भी एक मर्यादा होती है।इसलिए रामचरित मानस से अच्छा तो कुछ है ही नहीं। रामचरित मानस की ‘ढोर, गंवार, शूद्र, पशु, नारी ...’ वाली चौपाई को लेकर कहा कि कई बार लोग शाब्दिक अर्थ पर चले जाते हैं, हमें उसका भावार्थ समझना चाहिए। जितने भी कथाकार, लेखक आदि हुए हैं, उनकी बातों को भावार्थ से समझा जाना चाहिए। जिस समय में वह लिखा गया, उस समय के अनुसार भावार्थ को समझना चाहिए। अर्चना उपाध्याय द्वारा उठाए इस अनुकरणीय कदम पर पूरा देश उनके साथ है। अर्चना उपाध्याय ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा की जल्द से जल्द यदि प्रधानमंत्री मोदी की उनके मिशन पर कोई उचित कदम उठाते है तो उनके इस ऐतिहासिक कदम के लिए पूरा देश उनका ऋणी रहेगा। आगे बताते हुए अर्चना उपाध्याय कहती है की उन्हे आशा ही नही अपितु पूर्ण विश्वास है की वह दिन दूर नही है जिसमे रामचरित मानस को घर घर में पूजा ही नही अपितु उन बातों को जीवन में उतारकर हमारी भारतवासी पुनः विश्व गुरु बनेंगे। भावुक होते हुए अर्चना उपाध्याय कहती है की बचपन में अपने पिता , दादाजी को हर रोज प्रातः काल रामचरितमानस का अध्ययन करती देखती थी। बस वही माहोल वह हर तरफ देखना चाहती है।

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