संस्कृति मंत्रालय करेगा फेस्टिवल ऑफ़ लाइब्रेरीज 2023 का आयोजन
शब्दवाणी समाचार, शुक्रवार 21 जुलाई 2023, नई दिल्ली। भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुरमू द्वारा दो दिवसीय समारोह का उद्घाटन किया जाएगा, जो 2023 के 5 और 6 अगस्त को प्रगति-मैदान, नई दिल्ली में आयोजित होगा।· भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ महोत्सव के समापन समारोह को सम्बोधित करेंगे।· फेस्टिवल द्वारा विश्व भर की प्रसिद्ध पुस्तकालयों को भी हाइलाइट किया जाएगा ताकि भारत में पुस्तकालयों के डिजिटलीकरण और आधुनिकीकरण की कवायद तेज हो सकेनई दिल्ली, 20 जुलाई 2023: संस्कृति मंत्रालय देश भर के पुस्तकालय के विकास और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए "फेस्टिवल ऑफ़ लाइब्रेरीज 2023 " का आयोजन 5 और 6 अगस्त 2023 को हॉल नंबर 5, प्रगति मैदान, नई दिल्ली में करने जा रहा है, जिसका उद्घाटन माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुरमू द्वारा किया जाएगा।फेस्टिवल ऑफ़ लाइब्रेरीज 2023 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' के दूसरे चरण का हिस्सा है और यह माननीय प्रधानमंत्री के विज़न, जो पुस्तकालय के विकास और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने और भारत में पढ़ने की संस्कृति को विकसित करने का आदर्श है, के साथ मेल खाता है।"फेस्टिवल ऑफ़ लाइब्रेरीज" विश्व भर की प्रसिद्ध पुस्तकालयों को प्रदर्शित करने एवं भारत के तमाम पुस्तकालय के डिजिटलीकरण और आधुनिकीकरण पर बातचीत प्रारंभ करने के लिए एक मंच का कार्य करेगा। इस पर्व को भारत में मॉडल पुस्तकालय के विकास के लिए गांव और सामुदायिक स्तर तक क्रियान्वयक नीतियों के गठन को सुविधाजनक बनाने का उद्देश्य के तहत मनाया जा रहा है। इसके सहित भारत में बातचीत प्रारंभ करने के लिए एक विशेष रैंकिंग प्रणाली की शुरुआत की जाएगी, जो पुस्तकालय में उत्कृष्टता और नवाचार को बढ़ावा देगी। कार्यक्रम का समापन समारोह माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ के सम्बोधन से होगा। उल्लेखनीय मुख्य आकर्षणों में पुस्तकालयों के संगठन द्वारा एक संग्रहित निर्देशिका के लॉन्च और तीन प्रमुख पुस्तकालयों: पटना के खुदा बख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी, रामपुर की रमपुर राजा पुस्तकालय और टोंक के मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी पर्शियन रिसर्च इंस्टीट्यूट के बीच संयुक्त एमओयू के हस्ताक्षर, रामपुर राजा पुस्तकालय के 250 वर्षों के उत्सव की शुरुआत, रामपुर राजा पुस्तकालय पर आधारित सैसी पुस्तकालय सीरीज का लॉन्च और 22 भाषाओं में कर्सिव राइटिंग की किताबों की सेट का विमोचन शामिल हैं।भारत सरकार में कानून एवं न्याय मंत्री तथा संस्कृति एवम् संसदीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, "फेस्टिवल ऑफ़ लाइब्रेरीज 2023 ज्ञान और कल्पना का उत्सव है। पुस्तकालय पांडुलिपियों को संरक्षित रखते हैं और इतिहास और असीमित भविष्य के बीच का समंजस्य स्थापित करते हैं। हमारी डिजिटल पुस्तकालय पहल बाधाओं को तोड़ेगी और ज्ञान तक जन की सरल पहुँच को सशक्त बनाएगी। आइए पुस्तकालयों की परिवर्तनकारी शक्ति और वन नेशन, वन डिजिटल लाइब्रेरी द्वारा दिए जाने वाले असीमित अवसरों को अपनाते हुए उत्साह के साथ यह पर्व मनाए। इस अवसर पर उपस्थित संयुक्त सचिव, संस्कृति मंत्रालय, मुग्धा सिन्हा ने कहा, "पुस्तकालय समुदाय के आंगन की तरह होते हैं और जब एक तरफ पुस्तकों का प्रकाशन और भौतिक पुस्तकालयों का प्रसार जारी हैं, पुस्तकालय में आगंतुकों और पाठकों की संख्या में कमी देखी जा रही है। जब डिजिटल, सोशल मीडिया और नवीनतम तकनीकों ने लोगों को घर और उपकरणों से पढ़ने की सुविधा दे दी हैं, हमारे पुस्तकालयों को - अपनी दुर्लभ पुस्तकों, पांडुलिपियों और अभिलेखागारों के साथ - नए सिरे से आविष्कार करने के लिए अपने मांगकर्ताओं के साथ तालमेल बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे उन बेहतर संरचना और अन्य डिजिटल उपकरण सुविधाओं के साथ उनके अनुरूप हो सकें और सभी के लिए सुलभ बहुउद्देशीय स्थानों की तरह अपने आपको दोबारा-प्रतिबिंबित और दोबारा-नवीनीकृत करने की आवश्यकता होगी। इनका ही ध्यान रखते हुए फेस्टिवल ऑफ़ लाइब्रेरीज 2023 पुस्तकालयों के संपूर्ण पारिस्थितिकी और कैसे वे केवल पढ़ने के कक्षों से सांस्कृतिक हॉटस्पॉट्स में परिवर्तित किए जा सकते हैं की खोज करेगा।फेस्टिवल ऑफ़ लाइब्रेरीज एक अनूठा आयोजन है जिसका उद्देश्य पुस्तकालयों के संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र से प्रतिभागियों को अवगत और प्रेरित कराना हैं। महोत्सव के साथ ही नए पहल और प्रकाशनों का शुभारंभ भारत के माननीय राष्ट्रपति की अध्यक्षता में होगा। इस आयोजन में गोलमेज चर्चाएं और पैनल शामिल होंगे जहां प्रतिभागी भारतीय राज्यों और दुनिया भर के पुस्तकालय की सर्वोत्तम प्रथाओं का अन्वेषण कर पाएंगे। साहित्यिक उत्सवों के आयोजकों, युवा लेखकों, प्रकाशन गृहों और अन्य लोगों के साथ विशेष बातचीत भी होगी। आगंतुकों को 10 आकर्षक प्रदर्शनियों का आनंद लेने का मौका मिलेगा, जिसमें मानचित्रिकी, कैलिग्राफी, कर्सिव लेखन और जनजातीय फ़ॉन्ट और लिपि के प्रदर्शन शामिल होंगे। प्राइवेट संग्रहों, विशेष रूप से आर्काइव संग्रहों के डिजिटलीकरण पर चर्चा की जाएगी और उपस्थित लोग आर्काइव संग्रह और प्रभावी मसौदों की एक अद्वितीय प्रदर्शनी का अन्वेषण कर सकेंगे।महोत्सव में लेखकसत्र, डिजिटल प्रदर्शन, पॉडकास्ट और ह्यूमन लाइब्रेरी प्रोजेक्ट सहित इंटरैक्टिव ड्राइंग रूम शामिल होंगे। बच्चों में पढ़ने के प्रति प्रेम को बढ़ावा देने के लिए व्यावहारिक गतिविधियाँ प्रदान करता एक समर्पित चिल्ड्रेन ज़ोन भी उत्सव का हिस्सा होगा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पुस्तकालयाध्यक्षों और शिक्षाविदों से लेकर 100 आकांक्षी जिलों के जिला कलेक्टरों और मॉडल पुस्तकालयों के निदेशकों तक सभी हितधारकों को एक साथ लाना है ताकि पुस्तकालयों को समुदाय के आँगन के तौर पर और पाठकों को भविष्य के नेता के रूप में उभरने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक रोडमैप विकसित किया जा सके। 2014 में लॉन्च किया गया सरकार का राष्ट्रीय पुस्तकालय मिशन (एनएमएल) देश भर में पुस्तकालयों को बढ़ाने के प्रति उसके समर्पण को रेखांकित करता है। मॉडल पुस्तकालयों को विकसित करने, जिला पुस्तकालयों को डिजिटल नेटवर्क से जोड़ने और आर्थिक रूप से पिछड़े जिलों में पुस्तकालयों को प्राथमिकता देने के लिए इस मिशन का कुल बजट ₹100 करोड़ है।
मंत्रालय के बारे मेंसंस्कृति मंत्रालय देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के परिरक्षण एवं संरक्षण तथा कला एवं संस्कृति को प्रोत्साहन प्रदान करने का उतरदायित्व संभालता है। यह मंत्रालय मूर्त और अमूर्त विरासत एवं संस्कृति दोनों के संरक्षण, विकास और प्रोन्नयन के लिए उत्तरदायी है और यह बहुत-से ज्ञान संसाधन केन्द्रों का प्रबंधन भी करता है। इसके आलावा, मंत्रालय को गाँधीवादी विरासत को परिरक्षित करने तथा विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं और शताब्दियों के स्मरणोत्सव मनाने का अधिदेश सौंपा गया है। संस्कृति मंत्रालय देश के सभी बड़े पुस्तकालयों का अभिरक्षक है। यह पुस्तकालय विकास हेतु सहायता अनुदान भी प्रदान करता है तथा पुस्तकालय विकास संबंधी नीति मामलों के लिए भी ज़िम्मेदार हैं। यह मंत्रालय राष्ट्रीय अभिलेखागार के माध्यम से देश सभी अभिलेखीय रिकॉर्डो के रख- रखाव के लिए भी जिम्मेदार है। यह मंत्रालय सारनाथ, वाराणसी और लेह स्थित संस्थानों के माध्यम से बौध्द और तिब्बत संस्कृति के संरक्षण और उसके विकास के कार्यो में भी कार्यरत है। कला और संस्कृति में उत्कृष्टता के इच्छुक सभी व्यक्तियों के लिए इस मंत्रालय के पास एक अति सुनियोजित क्षमता निमार्ण कार्यक्रम भी उपलब्ध है। पुरातत्व विद्यालय, अभिलेखागार विद्यालय, राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान, एशियाटिक सोसाइटी, मौलाना अबुल कलाम आजाद एशियाई अध्ययन संस्थान आदि के नाम इस क्षेत्र में उल्लेखनीय हैं । राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय और कला क्षेत्र फाउॅंडेशन व्दारा चलाए जा रहें विभिन्न पाठ्यक्रम भी इस मंत्रालय के क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के कुछ उदाहरण हैं। मंत्रालय विदेशों में भारतीय महोत्सवों का आयोजन करके अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी मौजूदगी भी दर्ज करता है और संस्कृति के क्षेत्र में युनस्को के विभिन्न कन्वेंशनों के कार्यन्वयन तथा विश्व विरासत सूची में नामाकंन के लिए भी उतरदायी है।
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