पोश एक्ट लागू करना वक्त की पुकार : स्वाति मालीवाल, दिल्ली महिला आयोग अध्यक्ष

◆ कंपनियों में वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए 

◆ वर्कप्लेस पर सेक्सुअल हैरेसमेंट पर लगाम लगाने के लिए पोश एक्ट बेहद जरूरी 

◆ पॉश कॉन्क्लेव ' का आयोजन नई दिल्ली  में किया गया

◆ देश में वर्क प्लेस पर महिलाओं का यौन उत्पीिड़न रोकने के लिए 2013 में कानून बनाया गया था। इसे पोश एक्ट यानी प्रिवेंशन ऑफ सेक्सुअल हैरेसमेंट कहा जाता है

◆ यौन उत्पीड़न को आज भी ऐसा विषय माना जाता है, जिस पर लोग चर्चा नहीं करना चाहते। बहुत सी पीड़ित महिलाएं यौन उत्पीड़न की वारदात की रिपोर्ट तक दर्ज नहीं कराती, इसलिए संस्थानों को इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाने और इससे निपटने की ट्रेनिंग देने पर विचार करना चाहिए : डॉक्टर पिंकी आनंद 

◆ नो मीन्स नो '  के संस्थापक विशाल भसीन ने कहा, सेक्स उत्पीड़न एक गंभीर मुददा है, ज्यादा से ज्यादा संस्थानों को इसे रोकने के लिए आगे आना चाहिए 

शब्दवाणी समाचार, वीरवार 30 मार्च 2023, सम्पादकीय व्हाट्सप्प 8803818844, नई दिल्ली। पॉश कॉन्क्लेव का आयोजन नई दिल्ली  में 29 मार्च 2023 को कौशल विकास और प्रशिक्षण (CSDT) की पहल के केंद्र “नो मीन्स नो” की ओर  से किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन डॉक्टर पिंकी आनंद  ने किया। उन्होंने कहा कि वर्कप्लेस में महिलाओं को सुरक्षित महसूस कराने और यौन उत्पीड़न रोकने के लिए पोश एक्ट का प्रभावी ढंग से लागू करना बहुत जरूरी है।  कहा कि देश भर की कंपनियों में वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए पोश एक्ट को प्रभावी ढंग से लागू करना ही होगा। गौरतलब है कि देश में वर्कप्लेस पर महिलाओं का यौन उत्पीाड़न रोकने के लिए 2013 में कानून बनाया गया था। इसे पोश एक्ट (प्रिवेंशन ऑफ सेक्सुअल हैरेसमेंट) कहा जाता है। 

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने इस कार्यक्रम में कई प्रमुख वक्ताओं के साथ टेक्निकल सेशन की अध्यक्षता की  , कॉरपोरेट वर्ल्ड में सेक्स उत्पीड़न निषेध अधिनियम (पॉश एक्ट) को प्रभावी तरीके से लागू करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यौन उत्पीड़न अभी भी ऐसा विषय माना जाता है, जिसकी चर्चा समाज में खुले रूप में नहीं की जा सकती। यही कारण है कि अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के मामलों की अधिकांश महिलाएं शिकायत नहीं दर्ज कराती। इसलिए संस्थानों को इस तरह की घटनाओं की रोकथाम के लिए उचित कदम उठाने चाहिए और महिलाओं को इससे निपटने का प्रशिक्षण देना चाहिए। उन्होंने “नो मीन्स नो” को इस तरह के विशाल कॉन्क्लेव का आयोजन करने के लिए बधाई दी। उन्होंने इस कॉन्क्लेव में शामिल होने वाले सभी प्रतिनिधियों को बधाई दी। नो मीन्स नो के संस्थापक श्री विशाल भसीन ने सेक्स उत्पीड़न की घटनाओं पर लगाम लगाने के प्रति जागरूकता बढ़ने पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि अब ज्यादा से ज्यादा संस्थान यह समझने लगे हैं कि सेक्स उत्पीड़न एक गंभीर मुद्दा है। दफ्तरों या वर्कप्लेस में इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि वह 2013 से यौन त्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम को लागू करने के सफर का हिस्सा बने हैं। वह इस समय भारत के 500 से ज्यादा संस्थानों में यौन उत्पीड़न निरोधक अधिनियम (पॉश एक्ट) को प्रभावी ढंग से लागू करने में जुटे हैं। गौरतलब है कि देश में वर्कप्लेस पर महिलाओं का उत्पीड़न रोकने के लिए 2013 में पोश एक्ट बनाया गया था।    

श्री विपिन पचौरी Co Founder CSDT,   ने इस कॉन्क्लेव में लोगों की जबर्दस्त उपस्थिति और स्करिय भागीदारी पर प्रसन्नता जताई। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस कॉन्क्लेव में लोगों की काफी अधिक संख्या में भागीदारी से वास्तव में कॉरपोरेट्स के परंपरागत विचारों में बदलाव की झलक मिलती है। उन्होंने वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच करने वाली इंटरनल कमिटी के सदस्यों को प्रशिक्षित करने की जरूरत पर भी जोर दिया, जिससे पूर्ण रूप से निष्पक्ष और मामले के सभी पहलों को ध्यान में रखते हुए जांच की जा सके। 

स्टीलकेस इंडिया में एचआर विभाग के हेड श्री गौरव ठाकुर ने दो सूचनाप्रधान पैनल डिस्कशन की अध्यक्षता की, जिसकी कॉन्क्लेव में मौजूद सभी प्रतिनिधियों की काफी सराहना की। इस कॉन्क्लेव में 100 से ज्यादा प्रतिनिधि शामिल हुए, जिन्होंने 40 से ज्यादा संस्थाओं का प्रतिनिधित्व किया। इसमें नेस्ले, फर्न्स एंड पीटल्स, बिग एफएम, जीएमआर, भारतीय नौसेना, आईआरसीटीसी, बैंक ऑफ बड़ौदा, एयरटेल, हीरो और टाटा ग्रुप ऑफ कंपनियों के साथ कई अन्य कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस अवसर पर 15 प्रमुख विषय के विशेषज्ञ वक्ताओं ने सभा को संबोधित किया, जिन्होंने पोश एक्ट को लागू करने में आने वाली विभिन्न चुनौतियों के संबंध में विचार-विमर्श किया और इसे लागू करने के कई असाधारण तरीकों को भी शेयर किया। इस कॉन्क्लेव के अंत में वर्कप्लेस पर महिलों का यौन उत्पीड़न रोकने की शपथ दिलाई गई। इस अवसर पर पॉश एक्ट पर एक हैंडबुक का विमोचन भी दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने किया। वह इस कॉन्क्लेव को टेक्निकल सेशन की मुख्य अतिथि थीं। मिस मालिवाल ने इस बेमिसाल पहल के लिए नो मीन्स नो के संस्थापकों को बधाई दी। उन्होंने भविष्य में इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन की जरूरत बताई, जिससे वर्क प्लेस पर यौन उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने और इसके बारे में रिपोर्ट करने के प्रति जागरूकता बढ़ सके और महिलाएं इस तरह के मुद्दों पर अपनी आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित हो सकें। 

युगांक मीडिया के संस्थापक श्री रवि शास्त्री ने कहा इस महत्वपूर्ण मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए डिजिटल पहुंच बढानी चाहिए इसीलिए वह इस इवेंट में एक पार्टनर के रूप में शामिल हुए हैं। कुल मिलाकर यह पोश कॉन्क्लेव को भारी सफलता मिली। इस कार्यक्रम के आयोजकों को इस प्रोग्राम में शामिल सभी प्रतिनिधियों से अच्छा फीडबैक मिला। नो मीन्स नो और कौशल विकास और प्रशिक्षण केंद्र की इस पहल ने भारत में वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न की घटनाओं की रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाने के लिए प्रयास बरकरार रखने की प्रतिबद्दता को दिखाया। इस अवसर पर अन्य वक्ताओं में नेस्ले एमएस में सहायक कानूनी सलाहकार मिस धवनी राव, नेस्ले इंडिया एमएस में डी एंड आई मिस आरती भारद्वाज, स्टीलकेस इंडिया में एचआर हेड गौरव ठाकुर, फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्री ट्रेड एंड सर्विसेज के महासचिव श्री आर. के. भसीन, वरिष्ठ अधिवक्ता और साइबर लॉ एक्सपर्ट पवन दुग्गल, मेस्को स्टील्स की एमडी मिस रीता सिंह ने भी वक्ता के रूप में कॉन्क्लेव को संबोधित किया।

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