हिन्दी वैश्विक भाषा हैः जांगड़ा

शब्दवाणी समाचार, शुक्रवार 30 दिसम्बर  2022, सम्पादकीय व्हाट्सप्प 8803818844, नई दिल्ली। हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए कार्यरत सर्वश्रेष्ठ संगठन अंतरराष्ट्रीय हिन्दी समिति की ओर से आयोजित संगोष्ठी ‘‘हिन्दी कैसे बने विश्व की भाषा और साहित्यकार सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए भारत सरकार की संसदीय राजभाषा समिति के संयोजक और राज्यसभा सांसद श्री रामचन्द्र जांगड़ा ने कहा हिन्दी प्राचीन समय से ही वैश्वनिक भाषा है इसमें बहुत से पर्यायवाची शब्द है। हर शब्द का मतलब है जबकि अंग्रेजी में ऐसा नहीं है लेकिन हमने अंग्रेजी को ही सर्वोच्च भाषा मान लिया है और अंग्रेजी बोलने वाले को उत्तम दृष्टि से देखा जाता है उसे अधिक सम्मान दिया जाता है। श्री जांगड़ा ने कहा अंग्रेजों ने शिक्षा नीति से हमारी भाषा और संस्कार हटा दिए और भाषा जाने से हम मानसिक रूप से गुलाम हो गए। संस्कार जाने से हमारी परिवार और राष्ट्र के प्रति निष्ठा चली गई। अग्निवीर योजना को बिना समझे युवाओं ने करोड़ों रूपये की संपत्ति नष्ट कर दी। राष्ट्रीय कवि संगम के संस्थापक श्री जगदीश मित्तल ने कहा आज हम भाषा के महत्व को भूल चुके है और अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूलों में भेज रहे है जबकि देश में चिकित्सा विज्ञान, अभियांत्रिकी और सूचना प्रौद्योगिकी की शिक्षा भी हिन्दी में प्रारंभ हो चुकी है। आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हिन्दी को विश्व में नए कीर्तिमान के रूप में स्थापित कर दिया है और विश्व भर के लोग इस बात को भलीभांति समझने लगे है कि यदि भारत से व्यापार करना है तो हिन्दी सीखनी होगी। 

प्रख्यात हिन्दी साहित्यकार और उत्तर प्रदेश सरकार से साहित्य भूषण प्राप्त डा- बी- एल गौड़ ने कहा हिन्दी की गहराइयों को समझने की आवश्यकता है। हिन्दी के वैज्ञानिक आधार को समझने की आवश्यकता है। अपनी संस्कृति और संस्कारो में लौट कर ही हम हिन्दी के  प्रति अपनी सोच बदल सकते है। अंगेजी को किसी राष्ट्र ने श्रेष्ठ नहीं माना जैसे रूस, चीन, जर्मनी, फ्रांस वे अपनी भाषा प्रयोग करके सबसे आगे है। हम अंग्रेजी के माध्यम से आगे बढ़ना चाहते है। ब्रिटेन से पधारी काव्यरंग की अध्यक्षा श्रीमती जया वर्मा ने बताया उन्हें हिन्दी बोलने वाले विश्व के हर कोने में मिल जाते है। लेकिन अपने घर में ही अंग्रेजी भूतों की भरमार है। वे अपने बच्चों को हिन्दी की अपेक्षा अंग्रेजी में बोलने के लिए प्रोत्साहित करते है। संगोष्ठी की अध्यक्षता कई विश्व विद्यालयों के पूर्व कुलपति डा- प्रेमचंद पतांजलि ने की। संस्था के महासचिव डा- प्रवीन गुप्ता ने कहा संस्था हिन्दी को पेट की भाषा बनाने के लिए कार्यरत है। साथ ही अदालतों में हिन्दी को लागू कराने के लिए तत्पर है। हिन्दी संयुक्त राष्ट्र की भाषा जरूर बनेगी शुरूआत हो चुकी है। हिन्दी भाषी कार्यक्रम, समाचार, विज्ञप्तियां संयुक्त राष्ट्र में प्रारंभ हो चुके है। अंग्रेजी  सिस्टम को खत्म करने के लिए  हिन्दी अधिकारियों और राजभाषा निदेशकों को संयुक्त सचिव स्तर का दर्जा देना होगा। दक्षिण भारत की भाषाओं को भी आगे बढ़ाना होगा ताकि वे भी सुगमता से हिन्दी का प्रयोग करे। सरकार ने चिकित्सा विज्ञान अर्थात MBBS को हिन्दी में शुरू कर दिया है। शीघ्र्र ही कई राज्य इसे लागू करेंगे। नराकास में साहित्यकारों को सरकार को रखना होगा। हमने 12वें विश्व हिन्दी सम्मेलन के लिए भी सरकार को सुझाव भेजे कि वह हिन्दी प्रेमियों को फीजी के स्थानीय निवासियों के घर ठहराए। सम्मेलन मे फीजी की वेषभूषा, खान-पान, संस्कृति को भी दर्शाया जाए। फीजी में लघु हिन्दी सचिवालय खोला जाए। साहित्यकारों को पूरे विश्व से भेजा जाए निःशुल्क वीजा दिया जाए। 

अंतरराष्ट्रीय हिन्दी समिति के सचिव डा- आशीष गुप्ता ने संस्था का परिचय देते हुए कहा-अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी समिति का गठन 2005 में और पंजीकरण 2011 में लऽनऊ के पूर्व महापौर, प्रकाण्ड हिन्दी विद्वान, स्वतंत्रता सैनानी, एमएलसी डा- दाऊजी गुप्त और डा- श्रीभगवान शर्मा के नेतृत्व में हुआ। संस्था ने बहुत से कार्य कार्यक्रम, सेमीनार वेबीनार, सम्मान समारोह का आयोजन किया। विदेशों में हिन्दी का प्रचार-प्रसार किया। संस्था हर वर्ष अमेरिका और कनाडा में हिन्दी सम्मेलनो का आयोजन करती है। संस्था ने 8-9-10-11 विश्व हिन्दी सम्मेलनों में अपनी सक्रिय भूमिका अदा की। विदेशों में कार्यरत हिन्दी संगठनों को सहयोग प्रदान किया। विदेशियों को हिन्दी बोलने-लिऽने व प्रचारित प्रसारित करने पर सम्मान प्रदान किए। मारीशस के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अनिरूद्ध जुगन्नाथ और बहुत से राजदूत और रूस के मंत्री भी इस सूची में सम्मलित है। संस्था विभिन्न विषयों पर सरकार को समय-समय पर सुझाव प्रदान करती है वरिष्ठ  अधिकारियों से भेंट करती है। आप आजकल स्वोत्तर काल पर सुनते होंगे हिन्दी में जानकारी के लिए एक दबाएं इस कार्य के लिए संस्था ने बहुत प्रयास किया अन्यथा पहले अंग्रेजी में जानकारी के लिए एक था अभी सरकार और सुधार कर रही है।

संस्था चिकित्सा, सूचना प्रौद्योगिकि, अभियांत्रिकी जैसे पाठड्ढक्रमों को हिन्दी में प्रारंभ कराने का प्रयास कर रही है। संस्था ने अमेरिका में कार्यरत प्रख्यात हृदय विशेषज्ञ डा- फणि भूषण दास की चिकित्सा विज्ञान की हिन्दी पुस्तकों के प्रकाशन में सहयोग किया और उन्हे राष्ट्रपति से सम्मानित कराया। संस्था न्यायालय के फैसले विभागों की टिप्पणी हिन्दी में आए इस पर कार्य कर रही है। साथ ही संस्था विश्व हिन्दी सचिवालय की शाऽाएं ऽोलने की मांग कर रही है। भारतीय सांस्कृतिक सम्बंध परिषद द्वारा सांस्कृतिक केन्द्रों के साथ-साथ हिन्दी केन्द्रों की मांग भी सरकार को सौंपी है। निर्माणाधीन संसद भवन में कक्ष हिन्दी कवियों और स्वतंत्रता सैनानियों के नाम पर हो ऐसा सुझाव सरकार को भेजा था जिसको सरकार द्वारा नोट करके कार्य प्रारंभ कर दिया गया है।

हिन्दी दिवस पर भारत सरकार के गृह मंत्रलय का राजभाषा विभाग द्वितीय अिऽल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का आयोजन सूरत, गुजरात में किया। अंतरराष्ट्रीय हिन्दी समिति इसमें अपनी सक्रिय भूमिका अदा की फीजी में होने जा रहे 12वें विश्व हिन्दी सम्मेलन के लिए भी संस्था अपनी सक्रिय भूमिका निभा रही है। इस संदर्भ में देश-विदेश के हिन्दी प्रेमियों से लेऽ आमंत्रित किए जा रहे है। एक विशेषांक प्रकाशित किया जाएगा। सरकार से इस सम्मेलन को हाईब्रिड मोड़ से जोड़कर संपूर्ण विश्व के हिन्दी प्रेमियों को जोड़ने का आग्रह किया है। इसी संदर्भ में यदि आप अपनी पुस्तक-पोस्टर आदि प्रदर्शित करना चाहते हो आप हमें प्रेषित कर सकते है। अंतरराष्ट्रीय हिन्दी समिति कुछ शोध पत्रें का भी प्रकाशन कर रही है जैसे स्वावलंबन वर्ष, आपके भी शोध पत्र, लेऽ, पुस्तकें आमंत्रित है। संस्था ने राष्ट्रीय कवि संगम के संस्थापक है श्री जगदीश मित्तल जोकि देश-विदेश के कवियों को एकत्र करके उन्हे एक विशेष मंच प्रदान करने हैं। महाराजा अग्रसेन कालेज, अग्रोहा के महासचिव हैं। महाराजा अग्रसेन इंजिनियरिंग एण्ड मेनेजमेंट कालेज, रोहिणी, महाराजा अग्रसेन विश्वविद्यालय के उपाध्यक्ष व भारत लोक शिक्षा परिषद् ( एकल विद्यालय) सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष है भाजपा हरियाणा, भाजपा शिक्षा प्रकोष्ठ, लघु उद्योग भारती, अिऽल भारतीय अधिवत्तफ़ा परिषद, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के महत्वपूर्ण पदो पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं को साहित्य भूषण प्रदान किया। पूर्वांचल विश्वविद्यालय उतर प्रदेश व तिलका मांझी विश्वविद्यालय, भागलपुर के कुलपति भीमराव अंबेडकर महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्थापक प्राचार्य डा- प्रेमचंद पतांजलि को भी साहित्य भूषण प्रदान किया गया। हिंदी और आदिवासी भाषाओं के प्रख्यात विद्वान संस्कृति मंत्रलय, भारत सरकार के निदेशक हिंदी, बंजारा, तेलुगु, संस्कृत, उर्दू, मराठी, सहित अनेक भाषाओं के ज्ञाता जिनकी प्रमुऽ प्रकाशित कृतियाँ हैं- बंजारा भाषा (देवनागरी और रोमन), बंजारा भाषा अपणे आप सीऽ, बंजारा त्यौहारों के गीत, बंजारा लोक साहित्य का सांस्कृतिक अध्ययन, बंजारा व्याकरण, रपया (आदिवासी नायक की कहानी) और सेवामृत। इनके अतिरिक्त इनकी अनूदित कृतियाँ हैं-पाणी र बूँदे, चारु वसंता और लम्बानी रामायण। डा- रामचंद्र रमेश को भी साहित्य भूषण प्रदान किया गया।

श्री जय प्रकाश पाण्डये जोकि एक IRPS अधिकारी है। वर्तमान मे शिक्षा मंत्रलय भारत सरकार में निदेशक स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग है। श्री पाण्डये ने एम ए हिन्दी, इतिहास, एलएलबी की शिक्षा ग्रहण की है। विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में श्री पाण्डये के लेऽ प्रकाशित हो रहे है इनकी 3 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। श्री पाण्डेय को भी साहित्य भूषण प्रदान किया गया। छपरा बिहार भी जन्में डा- राजेश कुमार मांझी जो कई स्कूली और शिक्षा संस्थानों में शिक्षक के रूप में, कई संस्थानों में शोधकर्त्ता के रुप मे वे अपनी सेवाएं दे चुके है। कई विश्वविद्यालयो में आमंत्रित अतिथि व्याख्यान कर चुके हैं कई पुस्तकों के लेऽन में अपनी अह्म भूमिका निभा चुके हैं। हिन्दी अधिकारी, उपनिदेशक (राजभाषा) सहायक कुलसचिव, हिन्दी अनुवादक, पत्रकार, संपादक के रूप भी कार्य कर चुके है वर्तमान में जामिया-मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में कार्यरत है। इनकी पुस्तक फीजी में हिन्दी विविध आयाम प्रकाशित हुई है। संस्था ने इन्हे भी साहित्य भूषण प्रदान किया है। अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी समिति ने डा- मांझी को 12वें विश्व हिन्दी सम्मेलन मे सम्मानित/पुरस्कृत करने की मांग की है। दक्षिण भारत  हैदराबाद से पधारे हिन्दी प्रचार मित्र मण्डली व दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा के श्री चवाकुल रामकृष्ण राव को भी साहित्य भूषण प्रदान किया गया। नागरी लिपि परिषद के महामंत्री सस्ंकृति मंत्रलय की हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य और आकाशवाणी सहित कई सस्थ्ाांनो के माध्यम से हिन्दी साहित्य को अपनी सेवा दे चुके पीएचडी-डीलिट् की उपाधि प्राप्त चुके डा- हरि सिंह पाल को भी साहित्य भूषण प्रदान किया गया। गर्व का विषय है कई विश्वविद्यालयों मे डा- हरि सिंह पाल पर शेाध कार्य किए जा रहे है। 

भारत सरकार के गृह मंत्रलय के राजभाषा विभाग में उपनिदेशक सुश्री अभिलाषा मिश्रा जिन्होने द्वितीय राजभाषा सम्मेलन, सूरत गुजरात को बड़ी कुशलता से सम्मेलन को सफल बनाया उनके प्रयासो के चलते ग्यारह हजार प्रतिभागी सम्मेलन में सम्मलित हुए साहित्य भूषण प्रदान किया गया। फ्रलोरिडा, अमेरिका से भारतीय-साहित्य, संगीत, संस्कृति की प्रचारक प्रसारक 12 वर्ष की अल्प आयु से संगीत की शिक्षा देने वाली जिनके बहुत से गीत, और सीडी भारत और अमेरिका मे उपलब्ध है। असंख्य शो किए हैं। जिनके पति श्री विवेक आदेश और दोनों पुत्रियां भी इसी कार्य मे लिप्त है। जो हिन्दी की आनलाइन कक्षाएं देती है महिलायों के अधिकारों के लिए लड़ने वाली श्रीमती कादम्बरी आदेश को भी साहित्य भूषण प्रदान किया गया।अमेरिका से श्री इन्द्र जीत शर्मा, डा. अनिता कपूर और नार्वे के श्री सुरेश चंद्र शुक्ल को भी साहित्य भूषण प्रदान किया गया। सूचना प्रौद्योगिकी की नई तकनीकों के माध्यम से हिन्दी के प्रचार- प्रसार में कार्यरत हिन्दी के कार्य करने के नए-नए सॉफ्रटवेयर, ऐप बनाने वाली आज के युवा हिन्दी से दूरी बना रहे हैं हिन्दी की समझ सके हिन्दी भाषा के साथ-साथ भारतीय संस्कृति, दर्शन शास्त्र अध्यात्म और प्रबन्धन को समझ सके। हार्वड से शिक्षा प्राप्त स्वाति सिंह हिन्दी के उन्नयन मे बालिवुड का योगदान पर कार्य कर रही है साहित्य श्री प्रदान किया गया। राजस्थान के हिन्दी कवियो और लेऽको को नया मंच प्रदान कर रहे, राजस्थान साहित्य संस्कृति एवं शोध संस्थान के माध्यम से हिन्दी लेऽकों की रचनाओं को प्रकाशित करने वाले श्री किशोर सिंह चौहान को भी साहित्य श्री प्रदान किया गया। श्री जगदीश शर्मा अनन्त को उनकी पुस्तक कश्मीर के लिए सम्मानित किया गया। संस्था ने अपने पदाधिकारियों डा- आशीष गुप्ता, श्री अभिषेक जैन, श्री राजेश गर्ग, श्री वेदप्रकाश गौड़, श्रीमती नीना गोयल, श्री सचिन गुप्ता, श्रीमती दीपा थदानी, श्री राजीव गोयल का भी सम्मान किया।

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