अतिथ्यम, नोएडा में लीजिए दक्षिण भारत के स्वाद का मजा

 

◆ बैंगलोर के मसालों से बनते हैं यहां दक्षिण भारतीय व्यंजन

शब्दवाणी समाचार, वीरवार 30 जून 2022, (ऐ के लाल) गौतम बुध नगर। अपने मसालों और अतिथि सत्कार के पारम्परिक तौर तरीकों के लिए दक्षिण भारत पूरे विश्व में जाना जाता है। लगभग तीन दर्जन मसालों को घरेलू नुस्खों से बनाना और विभिन्न व्यंजनों में इस्तेमाल कर उन्हें केले के पत्तों पर खाने का आनंन्द ही अलग होता है। अब ऐसे स्वाद और सत्कार के लिए अब नोएडावासियों को दक्षिण भारत जाने की शायद ही जरूरत पड़े, क्योंकि नोएडा के हाजीपुर के पास सेक्टर 104 में अतिथ्यम नाम से शुरू किए गए दक्षिण भारतीय रेस्त्रां का दावा है कि यहां न सिर्फ दक्षिण भारतीय व्यंजनों की परंपरागत श्रंखला मिलती है, बल्कि उन्हें तैयार करने के लिए विशेष मसाले भी दक्षिण भारत के विभिन्न क्षेत्रों से मंगाए जाते हैं।

रेस्तरां के संचालक मनीष श्रीवास्तव बताते हैं कि हमारे यहाँ एंटीरियर और माहौल पूरी तरह दक्षिण भारतीय संस्कृति से प्रेरित है। यहां तक कि यहां भोजन हरे भरे केले के पत्तों पर परोसा जाता है। यहां सबसे ताजा और सबसे ताज़ी सामग्री ऐसा भोजन बनाती है जो उसके मूल अस्तित्व में रहते हुए स्वादिष्ट और सुपाच्य हो। हम विविध स्वाद बनाने के लिए प्रतिदिन मसालों और जड़ी.बूटियों को मिलाते हैं, भूनते हैं और पीसते हैं। जो चीज हमें अन्य से अलग करती है। हमारी रसोई में घी सहित हर मसाला स्थानीय रूप से बैंगलोर से प्राप्त किया जाता है, जो ग्राहकों को प्रामाणिक अनुभव में जोड़ता है। 

इतना ही नहीं हमारे शेफ रसोइयों की टीम दक्षिण भारतीय राज्यों की मूल निवासी है और अपने साथ पारंपरिक दक्षिण भारतीय खाना पकाने की एक समृद्ध व्यक्तिगत विरासत लेकर आई है, जो स्वाद को संतुलित करने की कला में निपुण हैं। जिन्होंने अपनी खुद की पाक संस्कृतियों से अपनी मांए दादी और परिवारों द्वारा पकाए गए खाद्य पदार्थों के लिए प्रेरणा ली है, ताकि एक हस्ताक्षर शैली विकसित की जा सके। इनके पौराणिक और स्थानीय व्यंजनो को भी हमारे मेनू में जगह मिली है। मनीष कहते हैं कि आतिथ्यम जिसका अर्थ है अतिथि भगवान है। आतिथ्यम, एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है अपने मेहमानों के साथ सम्मान का व्यवहार करना। हम अपने संरक्षकों को अपना भगवान मानते हैं।

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