सेफेक्स केमिकल को कारोबार के विस्तार से राजस्व 35 फीसदी बढ़ने की उम्मीद
शब्दवाणी समाचार, शनिवार 9 अक्टूबर 2021, मुंबई। एग्रोकेमिकल बाजार में उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रखने और लगभग सभी राज्यों में मौजूदगी दर्ज करने वाली सेफेक्स केमिकल को चालू वित्त वर्ष में राजस्व 35 फीसदी बढ़कर 950 करोड़ हो जाने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2020-21 में कंपनी का राजस्व 700 करोड़ रुपये का था। कंपनी का कहना है कि यह इस उद्योग की उच्चतम विकास दर भी हो सकती है। कंपनी की विकास दर पिछले 10 साल में औसतन 18 फीसदी रही है।
सेफेक्स का कहना है कि कंपनी के पास खरपतवार नाशक किटनाशक समेत एग्रोकेमिकल उत्पाद की पूरी रेंज है। सेफेक्स नई तकनीक, कारोबार के विस्तार और नए कारखाने लगाने की योजना की वजह से राजस्व में तेज वृद्धि की उम्मीद कर रही है। सेफेक्स के पास मौजूदा समय में पांच प्लांट हैं। इनमें से 2 जम्मू-कश्मीर में, 1हिमाचल में, 1 राजस्थान में और 1 महाराष्ट्र में है। महाराष्ट्र का प्लांट कंपनी ने वित्त वर्ष 2020-21 में खरीदा है। सेफेक्स इस उद्योग में सबसे तेज विकास करने वाला ब्रांड है। कृषि में सबसे आगे रहने वाले राज्य पंजाब में कंपनी पहले स्थान पर है। जबकि उत्तर प्रदेश और राजस्थान में दूसरे और हरियाणा में चौथे स्थान पर है। कंपनी उत्तर भारत और खासकर हिंदी भाषी क्षेत्रों के बाजार में अहम स्थान रखती है और ज्यादातर कारोबार यहीं के बाजारों से आता है।
सेफेक्स ने हाल ही महाराष्ट्र में जो कंपनी खरीदी है उसका नाम शोगुन है। इसमें घरेलू उत्पाद जैसै गुडनाइट में जो केमिकल डाला जाता है वह बनाती है। इसकी सबसे बड़ी खरीदार गोदरेज है। इससे सेफेक्स एक झटके में इस केमिकल के 50 फीसदी बाजार हिस्सेदारी पर काबिज हो गई है। यह पूछे जाने पर कि आजकल ऑर्गेनिक फूड का चलन बढ़ा है तो क्या इससे एग्रीकेमिकल उद्योग पर असर पड़ेगा। सेफेक्स का कहना है कि सोच कर देखिए कि क्या दवा दुकानें बंद हो जाए तो आपका काम चलेगा। उसी तरह एग्रीकेमिकल फसल की सुरक्षा कर भोजन उपलब्ध कराने और आपको स्वास्थ्य रखने में मदद करता है। सेफेक्स ने यह भी कहा कि कोरोना संकट में भी सेफेक्स के कारोबार पर असर नहीं पड़ा क्योंकि कंपनी कृषि से जुड़े उत्पाद बनाती है जिसकी खपत बंद नहीं हुई।
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