रेकिट और पहल ने की 5 नए राज्यों में हार्पिक वर्ल्ड टॉयलेट कॉलेज की स्थापना
◆ 2021 में 7000 सफाई कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने और उन्हें बेहतर आजीविका के अवसर प्रदान करने का लक्ष्य
शब्दवाणी समाचार, शुक्रवार 10 सितम्बर 2021, नई दिल्ली। दुनिया की प्रमुख कंज्यूमर हेल्थ एवं हाइजीन कंपनी रेकिट, अपने साझेदार जागरण पहल के साथ, हार्पिक वर्ल्ड टॉयलेट कॉलेज का विस्तार करने जा रही है। इसके तहत कंपनी महाराष्ट्र के औरंगाबाद में अपने मौजूदा केंद्र के अलावा 5 राज्यों में कॉलेज खोलने जा रही है। ये पांच राज्य पंजाब, उत्तराखंड, केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश हैं। इस विस्तार के साथ, कॉलेज का लक्ष्य 1 वर्ष में 7,000 सफाई कर्मचारियों को सम्मानजनक और स्वस्थ जीवन जीने के काबिल बनाना और उन्हें इसके लिए प्रशिक्षित करना है। कॉलेज में उन्हें जो प्रशिक्षण प्राप्त होता है, वह उन्हें सही नई तकनीक और कौशल से लैस करता है। यहां उन्हें मशीनों का उपयोग करने की ट्रेनिंग मिलती है। साथ ही रोकथाम की रणनीतियों, उनके अधिकार और पात्रता को समझने पर व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त होता है। यह प्रशिक्षण उन्हें प्रतिष्ठित और मान्यता प्राप्त ग्लोबल, राष्ट्रीय और स्थानीय संगठनों में सुरक्षित नौकरी हासिल करने में मदद करता है। इस पहल के तहत, कॉलेज 50 स्वयं सहायता समूहों को भी सहायता प्रदान करेगा जो अंतिम व्यक्ति तक जागरूकता फैलाने का काम करेंगे। इन समूहों को माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के साथ जोड़ा जाएगा। जिसकी मदद से एक सहकारी मॉडल तैयार करने में उन्हें मदद प्रदान की जाएगी। हार्पिक वर्ल्ड टॉयलेट कॉलेज का मुख्य उद्देश्य सफाई कर्मचारियों को एक गहन और व्यापक प्रशिक्षण और पोस्ट प्लेसमेंट मदद प्रदान करना है, जिससे वे आजीविका के वैकल्पिक अवसर प्राप्त कर सम्मानजनक जीवन जी सकें।
भारत में सफाई कर्मचारी जिन गंभीर वित्तीय, सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का सामना करते हैं, उसे देखते हुए उन्हें सुरक्षा देने और बेहतर जीवन प्रदान करने की सख्त जरूरत है। डालबर्ग की एक रिपोर्ट 'सेनिटेशन वर्कर सेफ्टी एंड लाइवलीहुड इन इंडिया' के अनुसार, भारत में 5 मिलियन (लगभग) पूर्णकालिक के समान सफाई कर्मचारी हैं। जोखिम के स्तर तथा नीतिगत मान्यता के आधार पर इनमें अंतर किया जाता है। इनमें से 1 मिलियन सफाई कर्मी शहरी क्षेत्रों में हैं, जो नाली और सामुदायिक सफाई के लिए काम कर रहे हैं, वहीं 6 लाख सफाई कर्मी शौचालय की सफाई के काम में लगे हुए हैं।
भारत में स्वच्छता के मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर के चलते हर रोज श्रमिक खतरनाक परिस्थितियों का सामना करते हैं; यहां सफाई से जुड़े उपकरण और साजो-सामान भी जोखिम के खिलाफ पूरी तरह से सुरक्षा नहीं दे पाते हैं। कोविड महामारी ने खतरों को और भी बढ़ा दिया है। कोविड के दौरान जहां सफाई कर्मचारी हॉट स्पॉट को डिसइन्फेक्ट करने, कोविड संक्रमित रोगियों को लेकर जाने और संक्रमित बायोवेस्ट के प्रबंधन जैसी अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, ऐसी जटिल परिस्थिति में सुरक्षा उपकरणों और औपचारिक प्रशिक्षण की कमी के चलते श्रमिकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर और भी खतरा पैदा हो गया है। महिला सफाई कर्मियों को तय घंटों से अधिक समय तक लगातार लोगों के संपर्क में रहने और समस्या के खिलाफ आवाज उठाने के तंत्र के अभाव के चलते असुरक्षित वातावरण में काम करना पड़ता है।
गौरव जैन, सीनियर वीपी, रेकिट, दक्षिण एशिया ने कहा, “रेकिट में, हम लोगों को बेहतर स्वास्थ्य, स्वच्छता और पोषण के माध्यम से स्वच्छ एवं स्वस्थ जीवन जीने में मदद करने और उनकी मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारे देश में सफाई कर्मचारियों की स्थिति बेहद गंभीर है और हमने महसूस किया कि एक सम्मानजनक जीवन जीने के लिए उन्हें काबिल और सशक्त बनाने की सख्त जरूरत है। हार्पिक वर्ल्ड टॉयलेट कॉलेज में हम सफाई कर्मियों को सही कौशल के साथ प्रशिक्षण प्रदान रहे हैं जो कि उन्हें नौकरी हासिल करने और सम्मानजनक जीवन जीने में मदद करता है। अब तक 7,700 श्रमिकों को प्रशिक्षित करने के बाद, हम अब इस पहल का विस्तार 5 अन्य राज्यों में कर रहे हैं। हमारी यह पहल अधिक से अधिक सफाई कर्मचारियों को उनके जीवन को बेहतर बनाने और सम्मानजनक जीवन जीने में मदद करेगी।
रवि भटनागर, डायरेक्टर,एक्सटर्नल अफेयर्स एंड पार्टनरशिप, एसओए, रेकिट, ने कहा, “सफाई कर्मचारी हमारे देश के हाईजीन सिस्टम की रीढ़ हैं। दुर्भाग्य से, इनमें से कई सफाई कर्मचारी जोखिम भरी कार्य परिस्थितियों के बीच काम करते हैं, इसके चलते उन्हें गंभीर बीमारियां और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। एक संगठन के रूप में हम समुदायों की मदद करने और लोगों को स्वस्थ और सम्मानजनक जीवन जीने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हार्पिक वर्ल्ड टॉयलेट कॉलेज को 5 नए राज्यों में शुरू करते हुए, हमारी कोशिश है कि हम 7,000 सफाई कर्मचारियों का जीवन बदलें और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सकारात्मक बदलाव लेकर आएं। 5 नए राज्यों में शुरू किए जा रहे डिजिटल प्रशिक्षण पाठ्यक्रम को 5 स्थानीय भाषाओं में डिजिटाइज़ किया जाएगा। इसके साथ ही मौजूदा पाठ्यक्रम को भी ऑडियो-आधारित शिक्षा में बदला जाएगा। इसकी मदद से सफाई कर्मचारियों को समझने और सीखने में आसानी होगी। रेकिट एवं प्रमुख साझेदारों के साथ जागरण पहल, हार्पिक वर्ल्ड टॉयलेट कॉलेज औरंगाबाद के साथ राज्य के नगर निगमों को मदद देने के साथ-साथ इस पहल के माध्यम से सफाई कर्मचारियों को सशक्त बनाने का काम जारी रखेगा।
हार्पिक वर्ल्ड टॉयलेट कॉलेज की स्थापना अगस्त 2018 में महाराष्ट्र के औरंगाबाद में पांच दिवसीय क्लासरूम ट्रेनिंग मॉड्यूल के साथ की गई थी। कोविड-19 के प्रकोप के बाद से, सभी ट्रेनिंग वर्कशॉप एक ऐप-आधारित प्रोग्राम के माध्यम से आयोजित की जाती हैं। अपनी शुरुआत के बाद से, कॉलेज बड़ा बदलाव लाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और पिछले 3 वर्षों में 7,700 से अधिक सफाई कर्मियों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया गया है। अब तक प्रशिक्षित प्राप्त करने वाले 100% सफाई कर्मचारी स्थायी नौकरी प्राप्त कर चुके हैं। वहीं कुछ प्रशिक्षित कर्मचारी हॉस्पिटेलिटी सेक्टर, सिनेमा, ऑटो और अस्पताल जैसे बड़े कॉर्पोरेट में काम कर रहे हैं। यह पहल सफाई कर्मचारियों को नौकरी लगने के बाद भी, वहां परिस्थितियों का सामना करने, काम संभालने और सामंजस्य बैठाने में मदद करने के लिए पोस्ट प्लेसमेंट सहायता भी प्रदान करती है। हार्पिक वर्ल्ड टॉयलेट कॉलेज द्वारा किए जा रहे कार्यों और प्रयासों के लिए इसे सराहना और सम्मान प्राप्त हो रहा है। कॉलेज को सामाजिक भलाई के लिए महात्मा पुरस्कार प्राप्त हुआ है। इसके साथ ही स्वच्छता के क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए फिक्की के साथ ही बेस्ट सोशल मोबिलिटी प्रोग्राम के लिए यूएनडीपी डायवर्सिटी, इक्विटी और इन्क्लूजन अवॉर्ड प्रदान किया गया है। वहीं औरंगाबाद नगर निगम की ओर से भी इसे सराहना मिली है।
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