अब तो ……
शब्दवाणी समाचार, वीरवार 10 जून 2021, नई दिल्ली।
अब तो ……
सियासी लोग इस हद तक यहाँ गिरने लगे अब तो ,
नगर ,गलियां यहाँ दंगों में सब जलने लगे अब तो
हमारे गांव की तस्वीर भी बिगड़ी हुई है अब ,
नहर,नदियाँ ,गली- कूँचे सभी घिरने लगे अब तो ।
किसी बाबा को पैसे की ज़रूरत थी नहीं पहले ,
मगर पैसों पे बाबा लोग भी मरने लगे अब तो ।
ज़माने भर में दारू को बुरी शय लोग कहते हैं ,
मगर सरकारी ख़र्चे दारू से चलने लगे अब तो ।
हमारे और उनके बीच अब ऐसे मरासिम हैं ,
हमें अपना उदू हर बात पर कहने लगे अब तो ।
कहा जाता था पैसों से तो बस सामान मिलता है ,
मगर इन्सानों के ईमान भी बिकने लगे अब तो ।
-सुखवीर चौधरी-
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