माँ बनने की कोशिशों को नाकाम कर सकता है एंडोमेट्रियोसिस


◆ अब मिल गया इसका आयुर्वेदिक उपचार 

शब्दवाणी समाचार, रविवार 28 मार्च  2021, नई दिल्ली। हर शादीशुदा जोड़े की यही ख्वाहिश होती है कि उसके घर में भी एक प्यारा सा बच्चा हो परंतु आजकल की खराब जीवनशैली एवं बुरी आदतों के चलते कुछ कपल की यह ख्वाहिश अधूरी रह जाती है। दूषित भोजन एवं खराब लाइफस्टाइल के कारण एंडोमेट्रियोसिस की समस्या एक आम समस्या बन चुकी है। एंडोमेट्रियोसिस का पता इस बात से लग जाता है कि यदि कोई महिला बार-बार गर्भधारण करने का प्रयास करती है और वह हर बार नाकाम हो जाती है तो इसका एक कारण एंडोमेट्रियोसिस भी हो सकता है। जो किसी महिला को माँ बनने से रोक सकता है। आयुर्वेद में एंडोमेट्रियोसिस का सबसे अच्छा उपचार है जिससे द्वारा महिलाओं की प्रजनन क्षमता को बढ़ाकर इस समस्या से निपटा जा सकता है। 

एंडोमेट्रियोसिस के कारण क्यों नही ठहरता है गर्भ? एंडोमेट्रियोसिस एक प्रकार का प्रजनन विकार है जिसके कारण लगभग 40 प्रतिशत महिलाओं को गर्भधारण करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। एंडोमेट्रियोसिस के ऊपर हुए शोधों से साफ पता चलता है कि एंडोमेट्रियोसिस की सूजन से एग और स्पर्म दोनो को भारी नुकसान होने की सबसे अधिक संभावना होती है। जिस कारण से गर्भ ठहरने में परेशानी होती है। गर्भ न ठहरने की मुख्य वजह होती है कि एंडोमेट्रियोसिस की सूजन क्योंकि जब गर्भाशय में सूजन आ जाती है जिससे निषेचन नही हो पाता है। 

लक्षणों के आधार पर कैसे पता लगायें कि माँ न बनने की समस्या एंडोमेट्रियोसिस है ? बाहरी तौर पर देखा जायें तो एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण नही देखाई देते है परंतु महिलाओं को कुछ ऐसे संकेत मिलते है जिसके आधार पर अनुमान लगाया जा सकता कि यह महिला एंडोमेट्रियोसिस की समस्या से जुझ रही है। इसका मुख्य लक्षण है कि यदि महिलाओं के पेल्विक एरिया में अधिक दर्द बना रहता है या तो महिला को  एंडोमेट्रियोसिस होने की सबसे ज्यादा संभावना होती है। इसके अतिरिक्त भी अन्य लक्षण है जोकि  1.पीरियड के समय अधिक दर्द होना, 2.पीरियड के पहले या फिर बाद में भी असहनीय दर्द होना। , 3.पीरियड में अधिक ब्लीडिंग होना। , 4.संबंध बनाते समय दर्द होना। , 5.मल तथा मूत्र त्याग के दौरान असहज महसूस होना इत्यादि। 

एंडोमेट्रियोसिस का उपचार केवल आयुर्वेद में ही संभव है।  आमतौर पर डॉक्टर दर्द निवारक दवा दे देते है या फिर सर्जरी (लेप्रोस्कोपी) के लिए बोल देते है। जोकि इसका स्थाई उपचार नही है, जिसके बाद एंडोमेट्रियोसिस दोबारा हो सकता है। आशा आयुर्वेदा में  आयुर्वेदिक चिकित्सा एवं पंचकर्म थेरेपी में इसका सफल उपचार उपलब्ध है। आयुर्वेदिक उपचार के द्वारा एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों को कम करके गर्भधारण की संभावना को अधिक बढ़ाया जाता है। एंडोमेट्रियोसिस की आयुर्वेदिक दवा 1.अलसी के बीज, 2.कद्दू के बीज , 3.अदरक, 4.हल्दी, 5.शहद इत्यादि खाने से ठीक हो सकता है। 

Comments

Popular posts from this blog

आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रमुख राजनीतिक पार्टी सिंधी समाज को भी अपना उम्मीदवार बनाए : अंजलि तुलस्यानी

ऑर्किड स्कूल खगोल विज्ञान थीम वाले फन एंड फेयर गो कॉस्मो का आयोजन करेगा

महाप्रभु श्रीजगन्नाथ की 57वीं रथ यात्रा निकला गयी