3 मिथक जो महिला उद्यमियों को रोकते हैं



शब्दवाणी समाचार, सोमवार 9 नवंबर 2020, नई दिल्ली। दुनिया में कई मिथक हैं, इनमें से कुछ अच्छाई और पॉजिटिविटी को बढ़ावा देते हैं। पर सभी मिथक अच्छे नहीं होते हैं। कुछ बिल्कुल ही निगेटिव विचारों के साथ आते हैं, जिसकी वजह से अक्सर व्यवहार भी प्रतिगामी या खुद को रोकने वाला हो जाता है। एंजल ब्रोकिंग लिमिटेड के सीएमओ श्री प्रभाकर तिवारी ऐसे तीन मिथकों के बारे में बता रहें हैं जो जो महिला उद्यमियों को जकड़कर रखते हैं।
1. महिलाएं अच्छी बॉस नहीं हो सकती: महिला बॉस के काम कर चुके कई लोग आपको बताएंगे कि यह मिथक महज एक मिथक है, सच्चाई नहीं। और यह सिर्फ उनके लिए नहीं है। रिसर्च ने भी इसका समर्थन किया है और रिपोर्ट्स से पता चलता है कि महिला बॉस प्रोत्साहन, बातचीत और संघर्ष प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में बेहतर होती हैं। यह सब दिखाता है कि महिलाएं वास्तव में महान बॉस भी हो सकती हैं।



इसके अलावा मालिकों को भी इमोशनल इंटेलिजेंस की आवश्यकता होती है, और यह कोई रहस्य नहीं है कि महिलाएं इस स्थान में उत्कृष्टता प्राप्त करती हैं। यह इमोशनल इंटेलिजेंस न केवल कॉर्नर ऑफिस में बल्कि शेयर बाजार में भी उनके बहुत काम आता है, जहां ईक्यू मार्केट की अस्थिरता के समय उन्हें विवेकपूर्ण निर्णय लेने में मदद कर सकता है। इसलिए, अगली बार जब आप या आपके कोई जानने वाले को बॉस के रूप में महिला के साथ काम करने को मिलें, तो आपको पता होगा कि आप एक अच्छे माहौल में काम करने जा रहे हैं।
2. महिलाएं अपनी कंपनियों को शुरू और चला नहीं सकती: महिलाओं के बीच उद्यमिता बढ़ रही है। मिथक यह है कि महिलाएं अपनी खुद की कंपनियां शुरू करने, उन्हें अकेले चलाने और सफलता के रास्ते पर चलाने में असमर्थ हैं, लेकिन महिलाओं ने कई बार इस मिथक को तोड़ा है। उन्होंने कई वर्टिकल में कई मर्तबा कुछ लीडिंग कंपनियों की स्थापना की है।
महिलाओं के नेतृत्व वाली कंपनियों की सफलता को समझना है तो आपको आपको उनके जीवन के अनुभवों के बारे में जानना होगा, वहीं आपके सामने यह राज खुलेगा। महिलाएं अपनी जिंदगी में जिस यात्रा से गुजरी हैं, तो वेअपने कंज्यूमर्स के दृष्टिकोण और आवश्यकताओं को लगभग 50% आसानी से समझ जाती हैं। इससे उन्हें अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में इंडस्ट्री को बेहतर तरीके से समझने और उनका विश्लेषण करने में मदद मिलती है।



3. महिलाएं पैसे का ध्यान अच्छे से नहीं रखती: आपने पहले ही तय कर लिया है कि इसमें कोई सच्चाई नहीं है, क्या यह सच नहीं है? हम सभी ने अपने जीवन में महिलाओं को देखा है - हमारी माताएं, दादी, चाची, या पत्नियां - बड़ी ही सहजता और चालाकी से घरेलू खर्च को संभालती हैं। यहां तक कि हमसे पहले की पीढ़ियों से गृहिणी, जो न औपचारिक तौर पर पढ़ी-लिखी थी और उन्हें काम करने का अनुभव भी नहीं था, फिर भी घर का पैसा तो वो ही संभालती थी।
महिलाओं के पास पैसा सुरक्षित रहता है और इसका कारण यह है कि वे पैसे के साथ स्वाभाविक रूप से स्वभाव से ही सतर्क रहती हैं। यह उन्हें बिना सोचे-समझे जोखिम लेने से रोकता है। और घर से अलग यह विशेषता उन्हें शेयर बाजार में भी अच्छी तरह से मदद करती है, जहां कैल्कुलेटेड रिस्क (और आवेगी निर्णय नहीं) सफलता की कुंजी बनते हैं।



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