मैक्स अस्पताल में पश्चिमी यूपी और पूर्वी दिल्ली में पहला लीथोट्रिप्सी ट्रीटमेंट किया
शब्दवाणी समाचार, शनिवार 19 सितम्बर 2020, ग़ाज़ियाबाद। 69 वर्षीय मरीज के दिल में कैल्शियम जमा होने के कारण उसकी जान का खतरा था। जिसके बाद मैक्स अस्पताल, वैशाली में कोरोनरी लीथोट्रिप्सी तकनीक का उपयोग कर मरीज का सफलतापूर्वक इलाज किया गया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पूर्वी दिल्ली में किया जाने वाला यह अपनी तरह का पहला ऐसा मामला था।मरीज के सीने में बार-बार गंभीर दर्द की शिकायत हो रही थी। मरीज को गंभीर हालत में इमरजेंसी में भर्ती किया गया था। पूरी जांच के बाद उसके दिल की मुख्य धमनी में 90% ब्लॉकेज पाया गया। इस ब्लॉकेज का कारण कैल्शियम की मोटी परत थी, जिसके कारण एंजियोप्लास्टी करना बिल्कुल भी संभव नहीं था।
पूरी प्रक्रिया लोकल एनीस्थीसिया के तहत धमनी में मौजूद ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी (ओसीटी) (एक छोटे कैमरे की मदद से) की मदद से की गई। मरीज को प्रक्रिया के 2 दिनों बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया और अब वह पूरी तरह स्वस्थ है। मैक्स अस्पताल वैशाली में कार्डियोलॉजी के एसोसिट निदेशक, डॉक्टर अमित मलिक ने जानकारी देते हुए कहा कि, “चूंकि, कैल्शियम ब्लॉकेज इलाज के समय और चुनौतियों को बढ़ा देता है इसलिए ऐसे मामलों के लिए इंट्रावस्कुलर लीथोट्रिप्सी एक बेहतर विकल्प है। कैल्शियम बहुत ज्यादा मात्रा में जमा होने के कारण एडवांस कोरोनरी आर्टरी डीजीज़ (सीएडी) से ग्रस्त मरीजों के इलाज के लिए यह एक नई और एडवांस प्रक्रिया है। हमें बेहद खुशी है कि इस क्षेत्र में इस प्रक्रिया की पहल हमने की। यह प्रक्रिया भारत में कई ऐसे रोगियों के लिए फायदेमंद साबित होगी जो एंजियोप्लास्टी से गुज़र रहे हैं। यह एक अग्रणी थेरेपी है जो दुनिया भर में कोरोनरी आर्टरी के मरीजों की मदद कर रही है और इससे भी अच्छी बात यह है कि अब यह भारत में भी उपलब्ध है।
यह एक हाई एंड तकनीक है जिसमें रोटा-एब्लेशन नाम की एक हाई स्पीड डायमंड ड्रिल की मदद से रास्ता तैयार किया जाता है। एक बार जब रास्ता तैयार हो जाता है तो धमनी में एक खास गुब्बारा लगाया जाता है, जो सोनिक प्रेशर वेव्स निकालकर जमा कैल्शियम को तोड़ देता है। इसके बाद दिल में एक स्टेंट लगाया जाता है। डॉक्टर अमित ने अधिक जानकारी देते हुए कहा कि, “एक मामूली कट के साथ, यह तकनीक उन सभी मरीजों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है, जिनकी धमनी को बैलून एंजियोप्लास्टी की मदद से खोलना संभव नहीं होता है। अब सख्त से सख्त ब्लॉकेज को न सिर्फ खोलना संभव है बल्कि लंबी अवधि में इसके परिणाम भी बेहतर होते हैं। इंट्रावस्कुलर लीथोट्रिप्सी के दौरान उत्पन्न होने वाली सोनिक प्रेशर वेव्स प्रक्रिया को अधिक सुरक्षित और सिद्ध उपचार बनाती हैं, जो कैल्शियम की परत को आसानी से तोड़ने में मदद करती हैं।
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