गुणवत्ता कृषि के लिए किसानों को प्रौद्योगिकी का अधिकार दिए जाने की उठी मांग
शब्दवाणी समाचार, मंगलवार 8 सितम्बर 2020, नई दिल्ली। स्वर्गीय श्री शरद जोशी (जो किसानों के प्रेणता थे) की जयंती की स्मृति में राष्ट्रीय किसान प्रौद्योगिकी दिवस मनाया गया जिसका उद्देश्य भारतीय कृषि को नए सिरे से देखने तथा सभी हितधारकों को कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी संसाधन के अभाव से निपटने के लिए एक संदेश देना था।
इस असवर पर, अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति एवं शेतकारी संगठन ने कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की महत्ता पर तथा प्रौद्योगिकी कैसे किसानों को अधिक उपज के साथ फायदा पहुंचा जा सकती है, इस बात पर चर्चा करने हेतु एक विर्चुअल जूम बैठक आयोजित की। बैठक में किसानों ने यह संकल्प लिया कि यदि खेतिहर समुदाय के हित में विनियामक यानी रेग्यूलेटरी बदलाव नहीं किए जाते हैं, तो वे पूरे देश में आंदोलन करेंगे। इस समय पर, नकली एवं बनावटी कीटनाशक और अन्य कृषि सामग्रियां एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है, क्योंकि यह विकास-रोधी और आतंकी वित्तपोषण का एक स्रोत है। बनावटी व जाली कीटनाशकों का कारोबार मूल कीटनाशक बनाने वाली कंपनियों के कानूनी प्रतिस्पर्धी कारोबार को चुनौती देता है और नवोन्मेष तथा किसानों की अर्थव्यवस्था एवं दीर्घकालिक आर्थिक विकास को नुकसान पहुंचाता है। अवैध कारोबार से अंततः कानून का भी उल्लघंन होता है और नागरिकों का सरकार पर भरोसा कम हो जाता है।
सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्री आर जी. अग्रवाल, ग्रुप चेयरमैन धानुका एग्रीटेक लिमिटेड, ने कहा, “किसान प्रौद्योगिकी दिवस 2020 का लक्ष्य हमारे किसानों के सशक्तिकरण के लिए मौजूदा प्रौद्योगिकियों के अंगीकरण एवं उचित प्रयोग की संभावनाओं की तलाश करना तथा नई सेवाओं, औजारों और पद्धतियों को अभिकल्पित करना, उनका उन्नयन करना है।
उन्होंने यह भी कहा कि “भारत की प्रति हैक्टेयर उपज 2 टन है, जबकि शेष विश्व की 3 टन है। आईएआरआई में एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने सभी वैज्ञानिकों से हमारी उपज को विश्व की 3 टन औसत उपज के बराबर लाने का आवाहन किया था। कृषि क्षेत्र की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि विभिन्न अनुसंधान संगठनों में हमारे कुछ वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अच्छे कार्य के बावजूद, हमारे किसानों को नई प्रौद्योगिकी नहीं मिल पा रही है, और हम अनुसंधान को प्रयोगशाला से खेत तक नहीं पहुंचा पा रहे
श्री अग्रवाल ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा, "हम भारत के किसानों की आय को दुगुना कर सकते हैं, लेकिन उसके लिए हमें खाद्य, स्वास्थ्य, संपदा, पोषण और हमारे देश की आर्थिक सुरक्षा के लिए स्थायी कृषि उत्पादन हेतु नई नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियां विकसित करनी होंगी। सभी नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियों के एकीकृत दृष्टिकोण को अपनाकर, हम अपने देश की बढ़ती आबादी की खाद्य जरूरतों के लिए निश्चित रूप से उत्पादकता को बढ़ा सकते हैं।
श्री भुपेन्दर सिंह मान, पूर्व संसद सदस्य और भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के अध्यक्ष ने भी सत्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा, "हमारा मानना है कि कृषि विश्व के सबसे पुराने सेक्टरों में से एक है और कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं अभी भी कृषि क्षेत्र के कंधों पर आश्रित हैं। आज हम एक ऐसी दुनिया में जी रह रहे हैं, जहाँ प्रौद्योगिकी हमारे रोजमर्रा की गतिविधि का केंद्र बिंदु बन गई है। हमारा मानना है कि जैसे हमने अन्य सेक्टरों में बदलाव लाकर उनका कायांतरण किया है, उसी तरह हम यह कह सकते हैं कि प्रौद्योगिकी भी कृषि विधियों का कायांतरण कर देगी और गुणवत्ता, मात्रा, वितरण तथा भंडारण से संबंधित चुनौतियों को हल कर भारतीय कृषि को नए आयामों तक पहुंचा देगी।
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