दिल की गंभीर बीमारियों में भी बाइपास सर्जरी से बचा सकता है : डॉ.बिमल छाजेड़
शब्दवाणी समाचार शनिवार 28 दिसम्बर 2019 नई दिल्ली। इस्केमिया (इंटरनेशनल स्टडी ऑफ कम्परैटिव हेल्थ इफेक्टिवनेस विद मेडिकल एण्ड इनवेसिव एप्रोचेज) नामक यह अध्ययन भारत समेत पूरी दुनिया के 320 से अधिक स्थानों के 5170 मरीजों पर किया गया। सबसे अधिक वैज्ञानिक पद्धति से किए गए इस परीक्षण (रैंडमाइज्ड कंट्रोल्ड ट्रॉयल) के निष्कर्ष को फिलाडेल्फिया में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) की सालाना बैठक में पेश किए गए। परिणामों से यह सामने आया कि दिल की सामान्य से गंभीर बीमारियों में भी (इमरजेंसी छोड़ कर) बाइपास सर्जरी से बचा सकता है। इसके लिए मेडिकल थेरैपी के साथ उचित जीवनशैली अपनानी होगी।
फरिदाबाद स्थित साओल हार्ट सेंटर के संस्थापक और निदेशक डॉ. बिमल छाजेड़ का कहना है कि ''योग और आहार केंद्रित उचित जीवनशैली अपनाने के साथ उचित मेडिकल थिरैपी से दिल की बीमारियांे का बेहतर निदान मिल सकता है। ये उपाय न केवल दिल को सेहतमंद रखेंगे बल्कि मरीजों को बाइपास सर्जरी या एंजियोप्लास्टी से भी बचा सकते हैं। एसएएओएल (साइंस एण्ड आर्ट ऑफ लीविंग) पिछले 25 वर्षों से दिल के मरीजों का इस तरह इलाज कर रहा है और आज सबसे आधुनिक शोध ने इस संगठन के सिद्धांत के सही होने का प्रमाण दिया है। दिल का दौरा से बचने के लिए मरीज को लाइफस्टाइल का संपूर्ण प्रशिक्षण लेने होगा। पूरे भारत और विदेशों में साओल की 89 शाखाएं हैं।
अध्ययन के आरंभ में सभी मरीज टीएमटी 'पॉजिटिव' थे और उनमें 85 फीसदी ने सीटी एंजियोग्राफी कराई और 15 फीसदी प्रचलित कैथेटर एंजियोग्राफी कराई ताकि ब्लॉकेज का सही अनुमान लगाया जा सके। लगभग 50 फीसदी मरीजों को एंजाइना की गंभीर समस्या, 33 फीसदी को सामान्य एंजाइना और 12 फीसदी को इसकी थोड़ी समस्या थी। इनमें आधे मरीजों की बाइपास सर्जरी या एंजियोप्लास्टी की गई और आधे की ऑप्टिमल मेडिकल थिरैपी (ओएमटी) की गई। साथ ही, लाइफस्टाइल बदलने की सलाह दी गई। इस तरह शोध का यह निष्कर्ष निकला कि यदि मरीज को दिल का दौरा नहीं पड़ा हो या आराम की अवस्था में एंजाइना नहीं होता है तो स्टेंट और बाइपास सर्जरी से दिल के मरीजोें को खास फायदा नहीं होता है। इसलिए उचित दवा के साथ उचित जीवनशैली अपना कर दिल के मरीज अधिक सेहतमंद रहेंगे। इस तरह यह निष्कर्ष सामने आया है कि टीएमटी पॉजिटिव मामलों में स्टेंट लगाना या बाइपास सर्जरी जरूरी नहीं है।
डॉ. बिमल छाजेड़ के अनुसार ''इस अध्ययन के निष्कर्ष ने भारत में अनावश्यक एंजियोप्लास्टी और बाइपास सर्जरी पर सवालिया निशान लगा दिया है। महज पैसे के लिए सर्जरी करने को आतुर सर्जन और इंटरवेंशनल कॉर्डियोलॉजिस्ट के बल पर फलते-फूलते दिल के 10,000 अस्पताल शक के घेरे में आ गए हैं। गौरतलब है कि भारत मंे हर वर्ष 5 लाख से अधिक स्टेंट लगाए जाते हैं और लगभग 60,000 बाइपास सर्जरी की जाती है। इनमें 85 फीसद दिल के ऐसे मरीज होते हैं जिनकी स्थिति सही होती है।
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