आवाज़ अकादमी में नि:शुल्क तैयार होंगे मोबाइल जर्नलिस्ट,अब बदलेगा रिपोर्टिंग का अंदाज
शब्दवाणी समाचार शनिवार 24 अगस्त 2019 नई दिल्ली। हिंदी हार्टलैंड उत्तर प्रदेश और बिहार में तेजी से छाने वाले वीडियो न्यूज़ ऐप 'आवाज़' ने अब एक नई मुहिम शुरू की है। डिजिटल दुनिया में मीडिया के बदलते स्वरूप को देखते हुए आवाज़ ऐप ऐसे दस हजार से ज्यादा पत्रकारों को तैयार करेगा जो मोबाइल जर्नलिज्म के माध्यम से रिपोर्टिंग का अंदाज बदलेंगे। आवाज़ ऐप ने इसके लिए 'आवाज़ अकादमी' को लॉन्च किया है, जिसका उद्येश्य पारंपरिक तरीके से हटकर ऐसे पत्रकार तैयार करना है जो न सिर्फ सबसे तेज होंगे बल्कि सही और जिम्मेदार भी होंगे। इसके लिए https://academy.awaaz.live पर जाकर कोई भी आवाज़ अकादमी से जुड़ सकता है। और जो बात सबसे खास है, वो ये है कि इस अकादमी से जुड़ने और मोबाइल जर्नलिस्ट बनने के लिए आपको कोई शुल्क नहीं देना होगा।
बीते एक दशक में ग्लोबल दुनिया तेजी से डिजिटल हुई है। एंड्रायड फोन ने हर हाथ में सूचनाओं का एक्सेस भी पहुंचाया है। एक तरफ जहां दुनिया तेजी से ग्लोबल हुई वहीं खबरों की दुनिया पर यदि नजर डालें तो वह सिमटती सी गई है। अखबार और वेबसाइट को छोड़ दें तो टेलीविजन यानि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से स्थानीय खबरें गायब हो गई हैं। खबरों के नाम पर एजेंडा चल रहा है। वेबसाइट जिलास्तरीय खबरों को कवर तो कर ले रही हैं लेकिन वीडियो फॉरमैट में स्थानीय खबरें गायब हैं। इसकी एक वजह है वीडियो न्यूज के कवरेज को अभी मुश्किल काम समझा जाता है। बड़े-बड़े कैमरे, माइक, साथ में एक कैमरामैन ये सब ऐसी चीजें हैं जिसके चलते वीडियो पत्रकारिता बहुत मुश्किल काम लगने लगती है। युवा पत्रकार वीडियो न्यूज़ के नाम पर सिर्फ व्हाट्सऐप से खबरें कलेक्ट कर उन्हें फॉरवर्ड करने भर तक रह गए हैं। आवाज़ अकादमी प्रोजेक्ट इसी धारणा को तोड़ने जा रहा है। आवाज़ ऐसे पत्रकार तैयार करने जा रहा है जो वीडियो न्यूज कवरेज के पारंपरिक तरीके से हटकर रिपोर्टिंग का अंदाज बदलने का काम करेंगे।
आवाज़ ऐप के फाउंडर सुबोध कोल्हे का कहना है कि "डिजिटल युग में आपका मोबाइल सिर्फ बात करने की चीज़ नहीं रह गई है। अब दुनिया पहले की तरह नहीं रही है कि वीडियो के लिए एक कैमरामैन हो तो उसके बाद ही शूट हो सकता है। आज एक पत्रकार के लिए उसका मोबाइल सबकुछ है। इसके बाद उसे किसी तीसरे की जरूरत नहीं है। आवाज़ अकादमी इसी लक्ष्य पर काम कर रहा है। इससे जुड़कर पत्रकार न सिर्फ पत्रकारिता के तरीके सीखेंगे बल्कि ये भी सीखेंगे कि कैसे एक अकेला पत्रकार अपने मोबाइल के साथ खुद ही वीडियो शूट से लेकर, पीटीसी और एंकरिंग तक करके उसे यूजर तक सीधे पहुंचा भी सकता है।"
आवाज़ अकादमी प्रोजेक्ट की इस मुहिम से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कई नामी और बड़े पत्रकार भी जुड़े हैं, जो पत्रकारिता के अपने अनुभव तो साझा करेंगे ही साथ ही आवाज़ अकादमी से जुड़ने वाले पत्रकारों को अपने वीडियोज़ के माध्यम से पत्रकारिता के गुर और बारीकियां भी सीखाएंगे। इसके साथ ही आवाज़ अकादमी खबरों की कवरेज, जानकारी इकठ्ठा करने के तरीके के साथ ही शूट वीडियो की एडिटिंग कर उसे कम्पलीट न्यूज बनाने के बारे में भी अपस्किल करेगा।
https://academy.awaaz.live पर शुरू की गई आवाज़ अकादमी का पूरा प्रोजेक्ट ऑनलाइन होगा यानि कि मोबाइल जर्नलिस्ट बनने की ट्रेनिंग भी मोबाइल पर ही दी जाएगी। इसके साथ ही अकादमी प्रोजेक्ट पूरी तरह फ्री होगा, जिसके लिए किसी भी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। पत्रकारों के लिए आवाज़ ने ट्रेनिंग वीडियोज़ भी शूट किए हैं। इन वीडियोज़ में मोबाइल पत्रकारों को खबरों का कलेक्शन से लेकर वीडियो शूट, एडिटिंग और लाइव रिपोर्टिंग के बारे में जानकारी दी जाएगी। मोबाइल जर्नलिज्म की सबसे अच्छी बात ये है कि पत्रकार और यूज़र के बीच सीधा रिश्ता होता है। वह अपनी ख़बर अपने अंदाज में यूजर तक पहुंचा सकता है लेकिन बहुत सारी स्वतंत्रता जिम्मेदारी भी लाती है। इसके लिए सीनियर पत्रकार युवा पत्रकारों को पत्रकारिता के मापदंड भी समझाएंगे।
एंड्रायड एप प्लेटफॉर्म पर वीडियो न्यूज कवर करने वाले आवाज़ ऐप ने उत्तर प्रदेश से शुरुआत की और साल भर के भीतर उत्तर प्रदेश और बिहार में लोकल वीडियो न्यूज में अपनी अलग पहचान बनाई। एक साल में आवाज़ ऐप के पास दो सौ से अधिक प्रशिक्षित रिपोर्टर्स हैं जो मोबाइल से खबरों को कवर करते हैं। आवाज़ ऐप पर करीब दस लाख यूज़र हैं और ऐप पर रोजाना एक हजार से अधिक खबरें अपडेट होती हैं। आवाज़ जल्दी ही राजस्थान और झारखंड में भी लॉन्च होने जा रहा है।
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