शैक्षिक संस्थानों को उत्कृष्टता केंद्र बनना चाहिए : उप राष्ट्रपति
शब्दवाणी समाचार वीरवार28 मार्च 2019 नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने सभी शैक्षणिक संस्थानों से छात्रों को गुणवत्ता, सस्ती, सार्थक शिक्षा प्रदान करने वाले उत्कृष्टता केंद्र बनने की दिशा में काम करने का आह्वान किया है
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यह बताते हुए कि उच्च शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता को उन्नत करना भारत के जनसांख्यिकीय लाभ को सार्थक करने में एक आवश्यक घटक है, उपराष्ट्रपति ने छात्रों को वैश्विक नौकरी बाजार में सफलता पाने के लिए प्रशिक्षित करने के लिए विश्व स्तर के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए उद्योगजगत के साथ बातचीत करने और काम करने के लिए शैक्षिक संस्थानों का आह्वान किया। उन्होंने उनसे अपेक्षा करते हुए बताया कि छात्रों को रोजगारपरक कौशल के साथ पेशेवर बनाने के लिए उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए पाठ्यक्रम तैयार करते समय वे ज्ञान और कौशल को अधिक महत्व दें।
जागरण प्रकाशन समूह द्वारा आज आयोजित 'रैंकिंग ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स इन इंडिया' कार्यक्रम में पुरस्कार प्रदान करने के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करना किसी छात्र और संस्थान के बीच पवित्र विश्वास का विषय होना चाहिए, क्योंकि वे बेहतर भविष्य की उम्मीद के साथ इन संस्थानों में शामिल होते हैं।
श्री नायडू ने शैक्षणिक संस्थानों और उनके प्रबंधन से इस तथ्य पर विचार करने के लिए कहा कि अधिकांश छात्रों के पास पेशेवर व्यावसायिक संस्थानों में अपनी शिक्षा के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं होते हैं और उन्हें ऋण लेने की जरूरत हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि रैंकिंग से छात्रों और उनके माता-पिता को संस्थान, बुनियादी ढांचे और इसकी शैक्षणिक और अनुसंधान क्षमता के बारे में पूरी जानकारी पाने में मदद मिलेगी।
यह बताते हुए कि देश और हमारे समाज का भविष्य युवाओं के सपनों में आकार ले रहा है, श्री नायडू ने जोर देकर कहा कि हमारे युवाओं को प्रशिक्षित करने और उनमें अत्यधिक मानव संसाधन का उपयोग करने के लिए उच्च मानवीय कौशल प्रदान करने की आवश्यकता है।
उपराष्ट्रपति का पद संभालने के बाद से संकाय सदस्यों, छात्रों और युवाओं के साथ अपनी बातचीत के बारे में चर्चा करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि इस तरह का हर अवसर हमारे लिए बेहद ज्ञानवर्धक और लाभदायक अनुभव रहा है और हमारे युवा छात्रों में आकांक्षात्मक आशावाद मौजूद था। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए ज्ञान तीर्थ रहा है ।
भारत के विकास की गाथा और इसकी संभावनाओं के बारे में चर्चा करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि नई ऊंचाईयों तक पहुंचने में युवाओं की भागीदारी एक अनिवार्य घटक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि राष्ट्र को एक समावेशी विकास पथ पर ले जाने के लिए शहरी ग्रामीण विभाजन, छिपी हुई भूख, असमानता और विभिन्न स्तरों पर असमानताओं जैसी समस्याओं को दूर करना आवश्यक है। उन्होंने कृषि को अधिक व्यवहार्य और लाभदायक बनाकर ग्रामीण भारत पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
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